धर्म-अध्यात्म

खरमास में सूर्य उपासना का है खास महत्व, होता है सुख-समृद्धि का आगमन

Tulsi Rao
18 Dec 2021 6:31 PM GMT
खरमास में सूर्य उपासना का है खास महत्व, होता है सुख-समृद्धि का आगमन
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हिंदू पंचाग के अनुसार खरमास माह की शुरुआत हो चुकी है. मार्गशीर्ष माह और पौष माह के बीच में खरमास के दिनों की शुरुआत होती है

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। Kharmas 2021 Surya Puja: हिंदू पंचाग के अनुसार खरमास माह (Kharmas Month) की शुरुआत हो चुकी है. मार्गशीर्ष माह (Margashirsha Month) और पौष माह (Paush Month) के बीच में खरमास (Kharmas) के दिनों की शुरुआत होती है. कहते हैं कि इन दिनों में सूर्य धनु राशि (Sun Enters In Dhanu) में प्रवेश करते हैं, जिस कारण इन दिनों में शुभ कार्य और मांगलिक कार्य करने की मनाही होती है. सूर्य के धनु राशि में प्रवेश करने के कारण गुरु का प्रभाव क्षीण हो जाता है.

मान्यता है कि खरमास के दिनों में सूर्यदेव की पूजा (Surya Dev Puja) उपासना करने से जातक की कुंडली में सूर्य (Surya In Kundali) की स्थिति मजबूत होती है और व्यक्ति के जीवन में सुख और समृद्धि का आगमन होता है. कहते हैं कि रविवार का दिन सूर्यदेव को समर्पित होता है और इस दिन सूर्य देव की उपासना करने से जातक की भी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है. आइए जानते हैं खरमास के पहले रविवार सूर्य देव (Sunday Surya Dev) को कैसे अर्घ्य दिया जाता है.
पूजा विधि (Surya Dev Puja Vidhi)
धार्मिक ग्रंथों में रविवार के दिन व्रत (Sunday Vrat) करने का उल्लेख मिलता है. इस दिन व्रत करने से न केवल सुख, शांति और समृद्धि आती है बल्कि वंश में भी वृद्धि होती है. खासकर से रविवार का व्रत महिलाएं अपने सौभाग्य के लिए करती है. वहीं, नियमित रूप से पूजा करके भी भगवान को प्रसन्न किया जा सकता है.
ब्रह्म मुहूर्त में उठें (Braham Muhurat )
सूर्य देव की उपासना करने के लिए ब्रह्म मुहूर्त में उठें. स्नान ध्यान से निवृत होकर सर्वप्रथम पूजा का संकल्प लें. इसके बाद आमचन करें और अपने को शुद्ध कर भगवान भास्कर (Lord Bhaskar) को जल अर्पित करें. भगवान सूर्य देव (Lord Surya Dev Water Offered Vidhi) को जल अर्पित करते समय इस मंत्र का उच्चारण करें.
एहि सूर्य सहस्त्रांशो तेजोराशे जगत्पते।
अनुकम्पय मां देवी गृहाणार्घ्यं दिवाकर।।
इसके बाद गायत्री मंत्र का जाप (Gayantri Mantra Jaap) करें.
ॐ ॐ ॐ ॐ भूर् भुवः स्वः तत् सवितुर्वरेण्यं।
भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात् ।।
इसके बाद भगवान विष्णु (Bhagwan Vishnu Mantra) का स्मरण कर निम्न मंत्र का उच्चारण करें.
शांता कारम भुजङ्ग शयनम पद्म नाभं सुरेशम।
विश्वाधारं गगनसद्र्श्यं मेघवर्णम शुभांगम।
लक्ष्मी कान्तं कमल नयनम योगिभिर्ध्यान नग्म्य्म।"
जथा शक्ति तथा भक्ति
इसके बाद पीले रंग के वस्त्र धारण करें और भगवान भास्कर की फल, धूप-दीप, दूर्वा आदि से पूजा करें. इसके बाद आरती अर्चना करें और भगवान से सुख, शांति और समृद्धि की कामना करें.


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