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धर्म-अध्यात्म
कर्क संक्रांति पर सूर्य दक्षिणायन होगा, इस दिन को भूलकर भी न करें ये काम
Bhumika Sahu
4 July 2022 10:33 AM GMT
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कर्क संक्रांति पर सूर्य दक्षिणायन होगा
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। ज्योतिष: हिंदू धर्म में संक्रांति तिथि को बेहद ही खास माना गया है वही संक्रांति का अर्थ होता है सूर्य का राशि परिवर्तन, जब सूर्य मिथुन राशि से कर्क राशि में गोचर करता है तो उसे कर्क संक्रांति के नाम से जाना जाता है धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कर्क संक्रांति से सूर्य की दक्षिण यात्रा आरंभ हो जाती है यानी कि सूर्य भगवान उत्तरायण से दक्षिणायन होते हैं
कर्क संक्रांति को श्रावण संक्रांति के नाम से भी जाना जाता हे सूर्य के दक्षिणायन होने से रात लंबी और दिन छोटे होने शुरू हो जाते हैं वही 16 जुलाई 2022 दिन शनिवार को कर्क संक्रांति का पर्व मनाया जाएगा इस दिन भगवान सूर्यदेव की पूजा की जाती है और उपवास भी रखा जाता है यह पर्व सूर्यदेव को समर्पित होता है तो आज हम आपको इसके बारे में बता रहे हैं तो आइए जानते है।
श्री सूर्यदेव के उत्तरायण और दक्षिणायन होने से मौसम में भी परिवर्तन देखने को मिलता है कर्क संक्रांति से मानसून का आरंभ हो जाता है दक्षिणायन की अवधि छह महीने की होती है मान्यता है कि दक्षिणायन से देवताओं की रात्रि शुरू होती है। वही सूर्य के दक्षिणायन में जाने से नकारात्मक शक्तियों का असर तेज हो जाता है शुभ शक्तियां क्षीण हो जाती है यही कारण है कि दक्षियायन में पूजा पाठ, दान, तप का विशेष महत्व होता है
कर्क संक्रांति से दक्षिणायन की शुरुआत होती है जो मकर संक्रांति पर समाप्त हो जाती है जिसके बाद उत्तरायण आरंभ होता है। वही इस दौरान सूर्य कर्क, सिंह, कन्या, तुला, वृश्चिक और धनु राशि में गोचर करते हैं सूर्य के राशि परितर्वन की अवधि एक महीने की होती है सूर्य किसी भी राशि में एक महीने तक विराजमान रहते हैं ऐसे में इन छह महीनों में कई राशियों पर शुभ और अशुभ असर भी देखने को मिलता है।
इस दौरान भूलकर भी न करें ये काम—
आपको बता दें कि दक्षिणायन के समय भगवान श्री विष्णु की पूजा का विधान होता है साथ ही पितरों की शांति के लिए पूजा और पिंडदान करना अच्छा माना गया है। देवशयनी एकादशी के बाद शुभ काम करना निषेध होता है चातुर्मास आरंभ हो जाता है दक्षिणायन को नकारात्मकता का भी प्रतीक माना गया है सूर्य जब दक्षिणायन होते हैं तब शुभ काम करने का शुभ फल प्राप्त नहीं होता है। इस दौरान देव योगनिद्रा में होते हैं इसलिए शादी विवाह, मुंडन, गृहप्रवेश उपनयन संस्कार आदि शुभ काम नहीं किए जाते हैं इनको करना वर्जित माना गया है।
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