- Home
- /
- अन्य खबरें
- /
- धर्म-अध्यात्म
- /
- मूर्ख इंसान से भी...
मूर्ख इंसान से भी ज्यादा कष्ट में होते हैं ऐसे लोग, कहीं आप भी तो...
आचार्य चाणक्य सफल दार्शनिक और अर्थ शास्त्री माने जाते हैं। वह अपने समय के एक ऐसे विद्वान थे जो व्यक्ति के कर्म देखकर उसके आने वाले समय के बारे में बता देते थे। आचार्य चाणक्य ने नीति शास्त्र में श्लोकों के माध्यम से लोगों को सफल जीवन जीने का जरिया दिया है। उन्होंने नीति शास्त्र में कई ऐसी बातें बताईं है जो सुनने में थोड़ी कठोर है लेकिन इसका पालन करके व्यक्ति खुशहाल जीवन जी सकता है। ऐसे ही चाणक्य ने उस अवस्था के बारे में बताया है जिसमें व्यक्ति सबसे ज्यादा कष्ट में होता है।
श्लोक
कष्टं च खलु मूर्खत्वं कष्टं च खलु यौवनम्।
कष्टात्कष्टतरं चैव परगृहेनिवासनम् ॥
मूर्खता कष्ट है, यौवन भी कष्ट है, किंतु दूसरों के घर में रहना कष्टों का भी कष्ट है।
चाणक्य नीति के दूसरे अध्याय के आठवे श्लोक में उन तीन चीजों के बारे में विस्तार से बताया है जो व्यक्ति को सबसे ज्यादा कष्ट देते हैं।
आचार्य चाणक्य के अनुसार, व्यक्ति चाहे तो आसानी से खुशी पा सकते हैं। लेकिन जो लोग मूर्ख होते हैं वह सही और गलत की समझ नहीं रखते हैं। ऐसे में उन्हें हमेशा किसी न किसी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि जवानी में भी व्यक्ति काफी दुखी रहता है। क्योंकि यह एक ऐसी उम्र है जहां पर सैकड़ों इच्छाएं पैदा होती है जिसमें से कुछ ही इच्छाएं पूरी हो पाती हैं। इस अवस्था में उसके अंदर इतना ज्यादा जोश होता हैं कि वह भूल जाता है कि उसके शक्ति के अंदर कौन-कौन सी चीजें हैं और कौन सी नहीं। थोड़ा पाने के बाद ही ह अपने अहंकार में हर एक चीज को भूल जाता है जिसके कारण आगे चलकर उसे कष्टों को झेलना पड़ता है।
आचार्य चाणक्य बताते हैं कि यौवन, मूर्खता से भी ज्यादा कष्टकारी है किसी के घर में रहना। क्योंकि जब आप किसी के घर रहते हैं तो पूरी तरह से उसी के पर आश्रित रहते हैं। स्वतंत्रता पूरी तरह के खत्म हो जाती है। जब व्यक्ति अपने अनुसार कोई काम नहीं कर पाता है तो ह अंदर ही अंदर घुटने लगता है जो सबसे कष्टकारी होता है।