धर्म-अध्यात्म

मां का ऐसा आगमन शुभ नहीं माना जाता,जानें घोड़े पर सवार होकर आने के परिणामों के बारे में

Kajal Dubey
29 March 2022 8:34 AM GMT
मां का ऐसा आगमन शुभ नहीं माना जाता,जानें घोड़े पर सवार होकर आने के परिणामों के बारे में
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इस बार मां दुर्गा की सवारी अनहोनी की ओर इशारा कर रही है क्योंकि इस बार मां दुर्गा घोड़े पर सवार होकर आ रही हैं।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। इस साल चैत्र नवरात्रि 02 अप्रैल से शुरू हो रही है, जो कि 11 अप्रैल तक रहेगी। इस साल एक भी तिथि का क्षय ना होने से ये धार्मिक पर्व नौ दिनों तक माता रानी की आराधना के साथ मनाया जाएगा। खास बात ये है कि इन नौ दिनों में कई ऐसे योग बन रहे हैं, जो सर्व फलदायी हैं। हालांकि, इस बार मां दुर्गा की सवारी अनहोनी की ओर इशारा कर रही है क्योंकि इस बार मां दुर्गा घोड़े पर सवार होकर आ रही हैं। मां का ऐसा आगमन शुभ नहीं माना जाता। इससे कई गंभीर परिणाम देखने को मिलते हैं। इस चैत्र नवरात्रि में कुछ ऐसे ही बड़े बदलाव हैं। नौ दिनों तक कैसे करें पूजा-पाठ कि आपको सारे फल मिलें। ऐसा क्या करें कि अनहोनी के प्रभाव को कम किया जा सके। इन्हीं सब बातों को हम बता रहे हैं। आइए जानते हैं संपूर्ण नौ दिनों की उपासना और मां को घोड़े पर सवार होकर आने के परिणामों के बारे में...

चैत्र नवरात्रि का प्रारंभ

चैत्र प्रतिपदा तिथि को घटस्थापना की जाती है और अष्टमी एवं नवमी तिथि पर कन्या पूजन के बाद व्रत का पारण किया जाता है। इस वर्ष चैत्र शुक्ल पक्ष प्रतिपदा 2 अप्रैल 2022 दिन शनिवार को हो रहा है। चढ़ती का व्रत 2 अप्रैल को किया जाएगा। प्रतिपदा से लेकर के नवमी तक माता भगवती के नौ रूपों की उपासना की जाती है।
कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त
नवरात्रि में कलश स्थापना की प्राचीन परंपरा है। कलश स्थापना के लिए सही तिथि और मुहूर्त का बड़ा महत्व होता है। वैसे तो पूरे दिन भर कलश स्थापना की जा सकती है, लेकिन प्रतिपदा तिथि में ही कलश स्थापना का विशेष विधान है। पंचांग के अनुसार, सूर्योदय से लेकर के दिन में 12 बजकर 28 मिनट तक कलश स्थापित कर लिया जाए तो अति उत्तम होगा। उसमें भी यदि शुभ चौघड़िया प्राप्त हो जाए तो और भी शुभ फल की वृद्धि हो जाती है। सुबह 7 बजकर 30 मिनट से लेकर के 9 बजे बजे तक और दोपहर में 12 बजे से लेकर के 12 बजकर 28 मिनट तक शुभ चौघड़िया प्राप्त हो रही हैं, जो कलश स्थापना के लिए सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त होगा।
अष्टमी और नवमी कब है?
वहीं महा अष्टमी का व्रत 9 अप्रैल दिन शनिवार को किया जाएगा। फिर रामनवमी का पावन 10 अप्रैल दिन रविवार को बड़े ही धूमधाम से मनाया जाएगा। इसके बाद नवरात्र व्रत का पारण 11 अप्रैल दिन सोमवार को दशमी तिथि में प्राप्त किया जाएगा।
इस बार क्या है माता का वाहन?
देवी भागवत पुराण के अनुसार, नवरात्र में माता के आगमन और गमन के दौरान वाहन का विशेष महत्व होता है। इस बार मां दुर्गा घोड़े पर सवार होकर आ रही हैं। घोड़े पर सवार होकर माता रानी का धरती पर आगमन शुभ नहीं माना जाता है। इससे कई गंभीर परिणाम देखने को मिलते हैं।
घोड़े पर सवार होकर माता रानी के आगमन अर्थ
नवरात्रि में माता का आगमन घोड़े पर होता है, तो समाज में अस्थिरता, तनाव अचानक बड़ी दुर्घटना, भूकंप चक्रवात, सत्ता परिवर्तन, युद्ध आदि से तनाव की स्थिति उत्पन्न हो जाती है।
ऐसे करें पूजा
इस बार माता घोड़े पर आ रही हैं, जो कि शुभ नहीं माना जाता है। ऐसे में इस नवरात्र में माता की पूजा क्षमा प्रार्थना के साथ किया जाना नितांत आवश्यक है। प्रत्येक दिन विधिवत पूजा करने के बाद क्षमा प्रार्थना करने से माता प्रसन्न होंगी और शुभ फल देंगी।


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