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सूर्य ग्रहण के बाद बन रहा भैया दूज का ऐसा शुभ संयोग, जानें तिलक करने का शुभ मुहूर्त
हर साल कार्तिक (Kartik) माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को भाई दूज (Bhai Dooj) का त्योहार मनाया जाता है. भाई दूज के मौके पर बहनें अपने भाई के माथे पर टीका करती हैं. फिर आरती उतारकर उनकी लंबी आयु की कामना करती हैं. इस बार सूर्य ग्रहण (Surya Grahan) के बाद पहले दिन पड़ने वाला भैया दूज का यह संयोग करीब 50 साल बाद बना है. इस बेहद खास और शुभ संयोग के कारण भाई-बहनों में प्रेम बढ़ेगा.
भैया दूज की मान्यता
भैयादूज यानी कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की द्वितीया के दिन यमुना मैया ने अपने भाई यमराज को घर में अपराह्न काल में भोजन कराया था इसलिए इस त्योहार को भ्रातृ द्वितीया या यम द्वितीया के रूप में भी जाना जाता है. इस तिथि में अपराह्न में भाई दूज मनाने की परंपरा है.
मान्यता है कि भाई दूज के दिन बहनों के घर भोजन करने से भाई की उम्र बढ़ती है. आइए जानते हैं भाई दूज का शुभ मुहूर्त, तिलत करने की सही विधि और मंत्र के बारे में.
भाई दूज 2022 का शुभ मुहूर्त
इस साल कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि 26 अक्टूबर को दोपहर से शुरू हो रही है जो 27 अक्टूबर की दोपहर को समाप्त हो रही है. ऐसे में इस बार 26 और 27 दोनों ही दिन भाई दूज का पर्व मनाया जा रहा है. लेकिन 26 अक्टूबर को ज्यादा श्रेष्ठ माना जा रहा है. कई ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक 26 अक्तूबर को 12 बजकर 45 मिनट पर द्वितीया समाप्त होती है इसलिए यह पर्व 26 अक्तूबर को ही मनाया जाएगा.
26 अक्तूबर को 10 बजकर 21 मिनट से लेकर 12 बजकर एक मिनट तक शुभ समय है इसलिए इसमें भी बहन अपने भाई को टीका कर भोजन करवा सकती है. वहीं 27 तारीख को दिन गुरुवार है. इस दिन के हिसाब से सुबह साढ़े दस बजे से लेकर दिन में 3 बजे तक शुभ मुहूर्त रहेगा. भाई दूज पर तिलक का विशेष समय 12.14 से 12.47 तक विशेष शुभ रहेगा.
भाई दूज 2022 पूजा विधि - कार्तिक मास की द्वितीया तिथि को सुबह के समय चंद्रमा के दर्शन करें. इसके बाद यमुना नदी में स्नान करें. अगर नहीं जा सकते हैं, तो घर में ही स्नान कर लें. इसके बाद साफ सुथरे वस्त्र धारण करके दोपहर के समय बहन से तिलक लगवाने के साथ उसे उपहार देना चाहिए. सबसे पहले भाई को तिलक करने के लिए आरती की थाल को सजाना चाहिए. इसमें सभी आवश्यक समाग्री जैसे सिंदूर, चंदन, फल, फूल, सुपारी, मिठाई, कुमकुम, मिठाई आदि रख लें. अब शुभ मुहूर्त के समय भाई का तिलक करें. फिर फूल, बताशे, सुपारी, काले चने आदि भाई को दें और उनकी आरती करें. भाई अपनी बहन का हमेशा रक्षा करने का वचन देता है, उसे तोहफे देता है. टीका करते समय बहन को इस मंत्र का जाप करना चाहिए. 'गंगा पूजा यमुना को, यमी पूजे यमराज को। सुभद्रा पूजे कृष्ण को, गंगा यमुना नीर बहे मेरे भाई आप बढ़ें, फूले फलें।।'