धर्म-अध्यात्म

पूजा या प्रार्थना करते समय दूर रहना चाहिए इन लोगों से

Kiran
9 Jun 2023 3:29 PM GMT
पूजा या प्रार्थना करते समय दूर रहना चाहिए इन लोगों से
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हर इंसान की अपनी ऊर्जा होती है जो वह उत्सर्जित करता हैं अब चाहे वह नकारात्मक हो या सकारात्मक यह उसके कर्मों पर निर्भर करता हैं। इंसान की उत्सर्जित यह ऊर्जा उसके आस-पास के वातावरण को बड़ा प्रभावित करती हैं। इसलिए धर्म ग्रंथों में बताया गया है कि मंदिर में पूजा करते समय या भगवान का ध्यान लगते समय ऐसे लोगों से दूरी बनाये रखनी चाहिए जो नकारात्मक ऊर्जा उत्सर्जित करें। नहीं तो यह नकारात्मक ऊर्जा आपका मन भी विचलित करती है और आपको ध्यान लगाने में असुविधा होती हैं। इसलिए आज हम आपको धर्म ग्रंथों में वर्णित कुछ ऐसे लोगों के बारे में बताने जा रहे हैं जिनसे पूजा या प्रार्थना करते समय दूर ही रहना चाहिए।
* लालची : जिस मनुष्य के मन में लालच होता है, उसकी प्रवृत्ति चोर के समान हो जाती है। ऐसा व्यक्ति पूरे समय दूसरों की वस्तु पाने के बारे में ही सोचता रहता है। ऐसे व्यक्ति से दोस्ती रखने या उसके कामों में मदद करने पर हमारे भी पुण्य कर्मों का नाश हो जाते है और हम भी पाप के भागी ही माने जाते है। इसलिए, देव आराधना के समय ऐसे मनुष्य से कभी बात नहीं करनी चाहिए।
* नास्तिक : कई लोग ऐसे भी होते हैं, जो भगवान और धर्म में आस्था नहीं रखते। जिन्हें ना तो धर्म-ज्ञान से कोई मतलब होता है, ना ही देव भक्ति से। ऐसा व्यक्ति धर्म और शास्त्रों में विश्वास ना होने की वजह से अधर्मी और पापी होता है। झूठ बोलना, बुरा व्यवहार करना आदि उसका स्वभाव बन जाता है। देव पूजा या दर्शन करते समय ऐसे व्यक्ति के आस-पास होने पर हम भी अपने काम पर पूरा ध्यान नहीं लगा पाते। ऐसे मनुष्य से हमेशा दूरी बनाएं रखनी चाहिए।
* जो दूसरों की निंदा करता हो : जो व्यक्ति दूसरों की निंदा या बुराई करता हो, ऐसा मनुष्य बुरे व्यवहार वाला होता है। दूसरों की निंदा करना मनुष्य व्यवहार का सबसे बड़ा दोष माना जाता है। ऐसे मनुष्य पूरे समय किसी न किसी की बुराई करता ही रहता है। ऐसे मनुष्य के आस-पास होने पर पूरे वातावरण की सकारात्मक ऊर्जा का नाश हो जाता है और शांति भंग हो जाती है। इसलिए, भगवान की पूजा या आरती करते समय ऐसे लोगों से दूर ही रहने की सलाह दी गई है।
* जलन की भावना रखने वाला : जो मनुष्य दूसरों के प्रति अपने मन में जलन की भावना रखता है, वह निश्चित ही छल-कपट करने वाला, पापी, धोखा देने वाला होता है। ऐसे मनुष्य का मन हर समय अशांत ही रहता है। ऐसे व्यक्ति से बात करने पर या मिलने पर वह अपनी बातों और आदतों से हमारा मन भी अशांत कर देता है। अशांत मन से की गई पूजा का फल कभी नहीं मिलती, इसलिए पूजा या दर्शन करते समय ऐसे लोगों से दूर ही रहना चाहिए।
* क्रोध करने वाला : बेवजह या अत्यधिक क्रोध करने वाले का व्यवहार दानव के समान माना जाता है। क्रोध करने से मनुष्य हमेशा ही अपना नुकसान करता है। कई बार निन्दा और हास्य का पात्र भी बन जाता है। ऐसे व्यक्ति का मन हर समय अशांत रहता है और उसके स्वभाव के समय वह नकारात्मक ऊर्जा देने वाला होता है। देव पूजा या दर्शन के समय ऐसे व्यक्ति के आस-पास होने पर मनुष्य अपना ध्यान केंद्रित नहीं कर पाता। इसलिए पूजा हा दर्शन करते समय ऐसे व्यक्ति से दूर रहना चाहिए।
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