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- चतुर्थी के दिन इस दिशा...
Sankashti Chaturthi Pujan Disha: हिंदू कैलेंडर के अनुसार, संकष्टी चतुर्थी महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाई जाती है। यह भगवान गणेश को समर्पित त्योहार है। 'संकष्टी' एक संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ है कठिन और बुरे समय से मुक्ति। इसलिए इस दिन पूजा और व्रत करने से शांति, समृद्धि, ज्ञान और चतुर्थ अवस्था की प्राप्ति होती है। आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 06 जून मंगलवार को देर रात 12:50 से प्रारंभ हो रही है। यह तिथि अगले दिन 7 जून बुधवार को रात 09:50 मिनट पर खत्म होगी। ऐसे में उदयातिथि के आधार पर कृष्णपिंगल संकष्टी चतुर्थी व्रत 7 जून बुधवार को रखा जाएगा। भगवान गणेश को सभी देवी-देवतों में प्रथम पूजनीय माना जाता है। गणपति पूजन के समय दिशा का ध्यान रखना चाहिए। आइए वास्तु शास्त्र के अनुसार जाने गणेश पूजन की सही दिशा।
गणेश चतुर्थी पर गणेश प्रतिमा की स्थापना उत्तर-पूर्व यानी ईशान कोण में शुभ मानी गई।
गणेश जी को मंगलमुखी कहते हैं इसलिए गणेश जी के मुख की तरफ समृद्धि, सिद्धि, सुख और सौभाग्य होता है। गणेश जी के पृष्ठ भाग पर दुख और दरिद्रता का वास माना गया है। इसलिए गणेश जी की स्थापना के समय ये ध्यान रखें कि मूर्ति का मुख दरवाजे की तरफ नहीं होना चाहिए। पीछे दीवार होनी चाहिए।
गणेश जी को विराजमान करने के लिए ब्रह्म स्थान,पूर्व दिशा और उत्तर पूर्व कोण शुभ माना गया है लेकिन भूलकर भी इन्हें दक्षिण और दक्षिण पश्चिम कोण यानी नैऋत्य में नहीं रखें। घर या ऑफिस में एक ही जगह पर गणेश जी की दो मूर्ति एक साथ नहीं रखें। वास्तु विज्ञान के अनुसार इससे उर्जा का आपस में टकराव होता है जो अशुभ फल देता है।
गणेश चतुर्थी पर घर में गणेश जी की सिद्धि विनायक रूप की स्थापना करना शुभ होता है। वास्तु के अनुसार बैठे हुए गणपति घर में स्थापित करने से सुख-शांति और समृद्धि में बढ़ोत्तरी होती है।