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धर्म-अध्यात्म
नवरात्र का शुभारंभ, पहले दिन मां शैलपुत्री पूजन के साथ करें कलश स्थापना
Renuka Sahu
26 Sep 2022 1:52 AM GMT
![Start of Navratri, establish the Kalash on the first day with the worship of Maa Shailputri Start of Navratri, establish the Kalash on the first day with the worship of Maa Shailputri](https://jantaserishta.com/h-upload/2022/09/26/2046422--.webp)
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न्यूज़ क्रेडिट : lagatar.in
शारदीय नवरात्र हर साल आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि के दिन से शुरू होता है.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। शारदीय नवरात्र हर साल आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि के दिन से शुरू होता है. इस बार नवरात्रि 26 सितंबर यानी आज से शुरू हो रहा है. जो पूरे नौ दिनों (5 अक्टूबर) तक चलेगी. इस बार मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर आ रही है. क्योंकि नवरात्रि का आरंभ सोमवार से हो रहा है. वहीं हाथी पर सवार होकर वापस भी जा रही हैं.
इस बार हाथी में आ रही हैं मां
हाथी से मां का आना और जाना काफी शुभ माना जाता है. हिंदू धर्म में मान्यता है कि जब मां दुर्गा हाथी में आती और जाती हैं तो भारी वर्षा होती है. अच्छी बारिश होने से खेती भी अच्छी होगी. देश में अन्न धन का भंडार बढ़ता है. बता दें कि मां दुर्गा के आने और जाने के वाहन अलग-अलग होते हैं. मां दुर्गा जब हाथी पर सवार होकर आती हैं तो ज्यादा पानी बरसता है. नौका पर सवार होकर माता रानी आती हैं तो शुभ फलदायी होता है. अगर मां डोली पर सवार होकर आती हैं तो महामारी का अंदेशा होता है. इसी तरह मां दुर्गा मुर्गे पर सवार होकर जाती हैं तो जनता में दुख और कष्ट बढ़ता है. हाथी पर सवार होकर प्रस्थान करने से बारिश ज्यादा होती है. मां दुर्गा अगर मनुष्य की सवारी करके जाती हैं तो सुख-शांति बनी रहती है.
इस शुभ मुहूर्त पर करें कलश स्थापना
नवरात्रि की शुरुआत प्रतिपदा तिथि को अखंड ज्योति और कलश स्थापना के साथ होती है. पवित्र कलश की स्थापना के बाद ही देवी की उपासना की जाती है. आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 26 सितंबर को सुबह 03 बजकर 23 मिनट से प्रारंभ होगी और 27 सितंबर को सुबह 03 बजकर 08 मिनट पर समाप्त होगी. शारदीय नवरात्रि में देवी की पूजा से पहले कलशस्थापना की जाती है. इस दिन सुबह 06 बजकर 28 मिनट से लेकर 08 बजकर 01 मिनट तक कलश स्थापना कर सकेंगे.
मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा का विधान
नवरात्र में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है. मां के इन नौ स्वरूपों में नवग्रहों को नियंत्रित करने की शक्ति होती है. मान्यता है कि नौ दिन तक देवी दुर्गा के 9 रूपों की पूजा करने से अलग-अलग विशेष लाभ मिलते हैं. शारदीय नवरात्रि के पहले दिन यानी अश्विन प्रतिपदा तिथि पर मां शैलपुत्री की पूजा का विधान है. मां शैलपुत्री का प्रिय रंग सफेद है. इसलिए पूजा में सफेद रंग की वस्तुओं का प्रयोग करना चाहिए. देवी को सफेद रंग की पुष्प, सफेद मिठाई जैसे रसगुल्ला भोग लगाएं. पहले दिन मां का प्रिय भोग गाय के घी से बने मिष्ठान उन्हें अर्पित करें.
स्नेह, करूणा, धैर्य और इच्छाशक्ति का प्रतीक है मां शैलपुत्री
मार्केण्डय पुराण के अनुसार, पर्वतराज यानी शैलराज हिमालय की पुत्री होने के कारण इनका नाम शैलपुत्री पड़ा. साथ ही माता का वाहन बैल होने के कारण इन्हें वृषारूढ़ा भी कहा जाता है. इसके अलावा शैलपुत्री को सती, हेमवती और उमा के नाम से भी जाना जाता है. घोर मां शैलपुत्री के दो हाथों में से दाहिने हाथ में त्रिशूल और बायें हाथ में कमल का फूल सुशोभित है. मां शैलपुत्री को स्नेह, करूणा, धैर्य और इच्छाशक्ति का प्रतीक माना जाता है.
मां शैलपुत्री की कथा
पौराणिका कथाओं के अनुसार राजा दक्ष ने एक भव्य यज्ञ का आयोजन किया था, जिसमें सभी देवी-देवताओं को निमंत्रण दिया गया. राजा दक्ष ने अपने अपमान का बदला लेने के लिए शिव जी को यज्ञ में नहीं बुलाया. देवी सती यज्ञ में जाना चाहती लेकिन शिव जी ने वहां जाना उचित नहीं समझा. सती के प्रबल आग्रहर पर उन्हें यज्ञ में जाने की अनुमति दे दी. यहां सती ने जब पिता द्वारा भगवान शंकर के लिए अपशब्द सुने तो वह पति का निरादर सहन नहीं कर पाईं और यज्ञ की वेदी में कूदकर देह त्याग दी.इसके बाद मां सती ने पर्वतराज हिमालय के घर शैलपुत्री के रूप में जन्म लिया. देवी शैलपुत्री अर्थात पार्वती का विवाह भी भोलेनाथ के साथ हुआ.
देखें चैत्र नवरात्रि 2022 की तिथियां
1. पहला दिन 26 सितंबर 2022 : मां शैलपुत्री की पूजा, कलश स्थापना
2. दूसरा दिन 27 सितंबर 2022 : मां ब्रह्मचारिणी की पूजा
3. तीसरा दिन 28 सितंबर 2022 : मां चंद्रघंटा की पूजा
4. चौथा दिन 29 सितंबर 2022 : मां कुष्मांडा की पूजा
5. पांचवां दिन 30 सितंबर 2022 : देवी स्कंदमाता की पूजा
6. छठा दिन 1 अक्टूबर 2022 : मां कात्यायनी की पूजा
7. सातवां दिन 2 अक्टूबर 2022 : मां कालरात्रि की पूजा
8. आठवां दिन 3 अक्टूबर 2022 : देवी महागौरी की पूजा, दुर्गा अष्टमी
9. नौवां दिन 4 अक्टूबर 2022 : मां सिद्धिदात्री की पूजा, राम नवमी
10. दसवां दिन 5 अक्टूबर 2022 : नवरात्रि का पारण, हवऩ
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