धर्म-अध्यात्म

नवरात्रि शुरू, करें दुर्गा आरती और दुर्गा चालीसा का पाठ, माता रानी हर लेंगी सब संकट

Subhi
3 April 2022 4:07 AM GMT
नवरात्रि शुरू, करें दुर्गा आरती और दुर्गा चालीसा का पाठ, माता रानी हर लेंगी सब संकट
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हिंदू धर्म में नवरात्रि पूजन का बहुत महत्व है। साल में दो बार नवरात्रि का पर्व आता है एक चैत्र नवरात्रि और दूसरा शारदीय नवरात्रि। चैत्र नवरात्रि चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से आरंभ होती है।

हिंदू धर्म में नवरात्रि पूजन का बहुत महत्व है। साल में दो बार नवरात्रि का पर्व आता है एक चैत्र नवरात्रि और दूसरा शारदीय नवरात्रि। चैत्र नवरात्रि चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से आरंभ होती है। आज यानि 2 अप्रैल को प्रतिपदा तिथि है। प्रतिपदा तिथि से नवमी यानि 11 अप्रैल तक चैत्र नवरात्रि मनाई जाएगी। इन नौ दिनों में माता के नौ रूपों की पूजा की जाती है। देवी के नौ रूपों का अलग-अलग पूजा करने से सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती है। इन नौ दिनों में मां दुर्गा के अलग-अलग रूपों की पूजा होती है,जो भक्तों को सुख-सौभाग्य और शौर्य प्रदान करती हैं। नौ देवियों की कृपा से अलग-अलग तरह के मनोरथ सिद्ध होते हैं। नौ दिन तक चलने वाली चैत्र नवरात्रि में मां दुर्गा के अलग अलग रूपों की पूजा कर भक्त माता को प्रसन्न करते हैं। कहते हैं मां दुर्गा भक्तों के दुख को दूर कर देती हैं। ऐसे में नवरात्रि में भक्त दिनभर व्रत रखते हैं और शाम को उनकी आरती करके उन्हें भोग लगाते हैं। चैत्र नवरात्रि में आरती के साथ-साथ दुर्गा चालीसा का भी पाठ करते हैं। मां दुर्गा की पूजा चालीसा के बिना अधूरी मानी जाती है। चैत्र नवरात्रि में दुर्गा चालीसा का पाठ करने से शत्रुओं से मुक्ति, इच्छा पूर्ति सहित अनेक मनोकामनाएं पूरी हो जाती है। शास्त्रों के अनुसार नवरात्रि या किसी भी अन्य शुभ अवसर पर मां दुर्गा की स्तुति के लिए दुर्गा चालीसा का पाठ करना उत्तम माना गया है। आइए यहां पढ़ते हैं दुर्गा चालीसा और दुर्गा आरती और उससे होने वाले लाभ।

मां दुर्गा की स्तुति के लिए दुर्गा चालीसा का पाठ करना उत्तम माना गया है।

दुर्गा चालीसा

नमो नमो दुर्गे सुख करनी। नमो नमो अंबे दुःख हरनी॥

निरंकार है ज्योति तुम्हारी। तिहूं लोक फैली उजियारी॥

शशि ललाट मुख महाविशाला। नेत्र लाल भृकुटि विकराला॥

रूप मातु को अधिक सुहावे। दरश करत जन अति सुख पावे॥

अन्नपूर्णा हुई जग पाला। तुम ही आदि सुन्दरी बाला॥

प्रलयकाल सब नाशन हारी। तुम गौरी शिवशंकर प्यारी॥

शिव योगी तुम्हरे गुण गावें। ब्रह्मा विष्णु तुम्हें नित ध्यावें॥

धरयो रूप नरसिंह को अम्बा। परगट भई फाड़कर खम्बा॥

रक्षा करि प्रह्लाद बचायो। हिरण्याक्ष को स्वर्ग पठायो॥

लक्ष्मी रूप धरो जग माहीं। श्री नारायण अंग समाहीं॥

हिंगलाज में तुम्हीं भवानी। महिमा अमित न जात बखानी॥

मातंगी अरु धूमावति माता। भुवनेश्वरी बगला सुख दाता॥

श्री भैरव तारा जग तारिणी। छिन्न भाल भव दुःख निवारिणी॥

कर में खप्पर खड्ग विराजै। जाको देख काल डर भाजै॥

सोहै अस्त्र और त्रिशूला। जाते उठत शत्रु हिय शूला॥

नगरकोट में तुम्हीं विराजत। तिहुँलोक में डंका बाजत॥

महिषासुर नृप अति अभिमानी। जेहि अघ भार मही अकुलानी॥

रूप कराल कालिका धारा। सेन सहित तुम तिहि संहारा॥

परी गाढ़ सन्तन पर जब जब। भई सहाय मातु तुम तब तब॥

ज्वाला में है ज्योति तुम्हारी। तुम्हें सदा पूजें नर-नारी॥

प्रेम भक्ति से जो यश गावें। दुःख दारिद्र निकट नहिं आवें॥

ध्यावे तुम्हें जो नर मन लाई। जन्म-मरण ताकौ छुटि जाई॥

शंकर अचरज तप कीनो। काम क्रोध जीति सब लीनो॥

निशिदिन ध्यान धरो शंकर को। काहु काल नहिं सुमिरो तुमको॥

शक्ति रूप का मरम न पायो। शक्ति गई तब मन पछितायो॥

भई प्रसन्न आदि जगदम्बा। दई शक्ति नहिं कीन विलम्बा॥

मोको मातु कष्ट अति घेरो। तुम बिन कौन हरै दुःख मेरो॥

आशा तृष्णा निपट सतावें। रिपु मुरख मोही डरपावे॥

करो कृपा हे मातु दयाला। ऋद्धि-सिद्धि दै करहु निहाला।

जब लगि जियऊं दया फल पाऊं। तुम्हरो यश मैं सदा सुनाऊं॥

श्री दुर्गा चालीसा जो कोई गावै। सब सुख भोग परमपद पावै॥

॥ इति श्रीदुर्गा चालीसा सम्पूर्ण ॥

दुर्गा जी की आरती

जय अम्बे गौरी मैया जय श्यामा गौरी ।

तुमको निशिदिन ध्यावत हरि ब्रह्मा शिव री ॥टेक॥

मांग सिंदूर बिराजत टीको मृगमद को ।

उज्ज्वल से दोउ नैना चंद्रबदन नीको ॥जय॥

कनक समान कलेवर रक्ताम्बर राजै।

रक्तपुष्प गल माला कंठन पर साजै ॥जय॥

केहरि वाहन राजत खड्ग खप्परधारी ।

सुर-नर मुनिजन सेवत तिनके दुःखहारी ॥जय॥

कानन कुण्डल शोभित नासाग्रे मोती ।

कोटिक चंद्र दिवाकर राजत समज्योति ॥जय॥

शुम्भ निशुम्भ बिडारे महिषासुर घाती ।

धूम्र विलोचन नैना निशिदिन मदमाती ॥जय॥

चौंसठ योगिनि मंगल गावैं नृत्य करत भैरू।

बाजत ताल मृदंगा अरू बाजत डमरू ॥जय॥

भुजा चार अति शोभित खड्ग खप्परधारी।

मनवांछित फल पावत सेवत नर नारी ॥जय॥

कंचन थाल विराजत अगर कपूर बाती ।

श्री मालकेतु में राजत कोटि रतन ज्योति ॥जय॥

श्री अम्बेजी की आरती जो कोई नर गावै ।

कहत शिवानंद स्वामी सुख-सम्पत्ति पावै ॥जय॥

दुर्गा चालीसा और दुर्गा आरती के पाठ के लाभ

नवरात्रि के दौरान रोजाना दुर्गा चालीसा का पाठ करने से आप के शरीर में सकारात्मक उर्जा का संचार होगा। इसके साथ ही दुश्मनों से निपटने और उन्हें हराने की क्षमता भी विकसित होती है।

दुर्गा चालीसा का पाठ करने से आपके अपनी प्रतिष्ठा और मान मर्यादा को पुनः प्राप्त कर सकते हैं। मां दुर्गा की मन से पूजा करने से नकारात्मक विचारों से दूर रहेंगे।

किसी भी अवसर पर दुर्गा चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति को आध्यात्मिक अनुभूति मिलती है।

अगर आप अपने मन को शांत करना चाहते हैं तो रोजाना दुर्गा चालीसा का पाठ करें। बड़े-बड़े ऋषि भी मां दुर्गा चालीसा का पाठ करते थे, ताकी अपने मन को शांत रख सकें।

दुर्गा चालीसा का पाठ करने से आप अपने परिवार को वित्तीय नुकसान और संकट से बचा सकते हैं। इसके अलावा इससे आप मानसिक शक्ति भी विकसित कर सकते हैं।

किसी भी मनोकामना की पूर्ति हेतु दुर्गा चालीसा का पाठ आवश्य करें। कहा जाता है नवरात्रि में दुर्गा चालीसा के पाठ और दुर्गा आरती से मां आसानी से प्रसन्न होती हैं और अपने भक्तों पर खूब कृपा बरसाती हैं।

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