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श्रीकृष्ण और देवी का एक ही दिन हुआ था जन्म, जानिए द्वापर युग की ये पौराणिक कथा
जनता से रिश्ता वेबडेस्क| नवरात्रि का त्यौहार चल रहा है। इस दौरान देवी के 9 अवतारों की पूजा की जाती है। नवरात्रि को लेकर हमने आपको कई कथाएं बताई हैं। आज भी हम आपके लिए एक पौराणिक कथा लाए हैं। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार, देवी ने द्वापर युग में भी श्रीकृष्ण के जन्म के समय अवतार लिया था। इस संबंध में कथा बताई गई है जो देवी भागवत पुराण, श्रीमद् भगवद् पुराण और दुर्गासप्तशती में मिलती है। इस दौरान प्रजापति दक्ष के घर देवी दुर्गा ने सती के रूप में जन्म लिया था। वहीं, पार्वती के रूप में पर्वतराज हिमालय के यहां जन्म लिया था। द्वापर युग में भी श्रीकृष्ण के जन्म के समय देवी ने यशोदा के गर्भ से जन्म लिया था।
धरती पर बढ़ते अधर्म को देखते हुए ब्रह्माजी समेत सभी देवताओं ने भगवान विष्णु से द्वापर युग में अवतार लेने की प्रार्थना की थी। तब विष्णुजी ने सभी देवताओं को आश्वस्त किया था कि वो देवकी और वासुदेव के घर जन्म लेंगे। तब उनकी माया ने यशोदा और वासुदेव के यहां जन्म लिया। विष्णुजी ने उनसे कहा कि हे देवी आप माता यशोदा के यहां जन्म लेना। वासुदेव मुझे छोड़ने यशोदा के यहां आएंगे और आपको अपने साथ लेकर कंस के कारागार में पहुंचेंगे। फिर कंस के हाथों से निकलकर आप विंध्याचल पर्वत पर निवास करना। आपको दुर्गा, अंबिका, योगमाया आदि नामों से जाना जाएगा और आप जगत में पूजी जाएंगी। भक्तों के सभी दुखों का आप नाश करेंगी।
जैसे विष्णुजी ने कहा था ठीक वैसे ही देवी और श्रीकृष्ण का एक ही दिन जन्म हुआ था। श्रीकृष्ण के जन्म के बाद वासुदेव उन्हें यशोदा के यहां छोड़ आए और अपने साथ देवी को कारागार ले आए। यहां उन्हें देवकी की आठवीं संतान बताया गया । जब कंस देवकी की आठवीं संतान को मारने पहुंचा तो देवी उसके हाथ से निकलकर विंध्याचल पर्वत चली गईं और वहां निवास करने लगीं। श्री दुर्गा सप्तशती में एकादश अध्याय में यह कथा बताई गई है।