धर्म-अध्यात्म

विनायक चतुर्थी व्रत पर बन रहा खास योग, जाने शुभ मुहूर्त और महत्व

Subhi
2 July 2022 4:27 AM GMT
विनायक चतुर्थी व्रत पर बन रहा खास योग, जाने शुभ मुहूर्त और महत्व
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विनायक चतुर्थी व्रत आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को रखा जाता है। ज्येष्ठ विनायक चतुर्थी व्रत 03 जुलाई दिन रविवार को है। हिंदू पंचांग के अनुसार, हर मास के दोनों पक्ष यानी कृष्ण और शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को गणेश जी को समर्पित है।

विनायक चतुर्थी व्रत आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को रखा जाता है। ज्येष्ठ विनायक चतुर्थी व्रत 03 जुलाई दिन रविवार को है। हिंदू पंचांग के अनुसार, हर मास के दोनों पक्ष यानी कृष्ण और शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को गणेश जी को समर्पित है। इसी कारण इस दिन को गणेश चतुर्थी के रूप में मनाया जाता है। शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली गणेश चतुर्थी को विनायक चतुर्थी के नाम से जाना जाता है। इसके अलावा इसे वरद चतुर्थी भी कहा जाता है। इस बार विनायक चतुर्थी पर काफी शुभ योग बन रहा है। जानिए शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व।

विनायक चतुर्थी शुभ मुहूर्त

आषाढ़ शुक्ल चतुर्थी तिथि का प्रारंभ- 02 जुलाई शनिवार दोपहर 3 बजकर 16 मिनट से

आषाढ़ शुक्ल चतुर्थी तिथि का समापन- 03 जुलाई, रविवार को शाम 05 बजकर 06 मिनट तक

गणेश पूजा का शुभ मुहूर्त- 3 जुलाई को सुबह 11 बजकर 02 मिनट से दोपहर 01 बजकर 49 मिनट तक

चंद्रोदय का समय- सुबह 09 बजकर 9 मिनट पर पर

चंद्रास्त- 3 जुलाई को रात 10 बजकर 33 मिनट पर

विनायक चतुर्थी पर बन रहा खास योग

रवि योग- 3 जुलाई सुबह 05 बजकर 28 मिनट से 4 जुलाई सुबह 06 बजकर 30 मिनट तक

सिद्धि योग- 3 जुलाई को दोपहर 12 बजकर 07 4 जुलाई रात 12 बजकर 21 मिनट तक

विनायक चतुर्थी पर ऐसे करें गणेश जी की पूजा

इस दिन ब्रह्न मुहूर्त में उठकर सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान आदि कर लें।

इसके बाद साफ सूथरे लाल या पीले रंग के वस्त्र धारण कर लें।

अब पूजा स्थल पर जाकर चौकी, पाटा या फिर पूजा घर में ही एक पीला या लाल कपड़ा रंग का साफ वस्त्र बिछाकर भगवान गणेश जी की मूर्ति या तस्वीर स्थापित कर दें।

गणेश जी का जलाभिषेक करें।

अब भगवान को फूल, माला, 11 या 21 गांठ दूर्वा चढ़ा दें।

भगवान गणेश जी को सिंदूर का तिलक लगाएं।

अब भगवान को मोदक या फिर बूंदी के लड्डू चढ़ा दें।

अंत में आरती आदि करने करने के बाद प्रसाद आदि बांट दें।

पूरे दिन फलाहारी व्रत रखने के बाद पंचमी तिथि के दिन व्रत का पारण कर दें।


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