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धर्म-अध्यात्म
आश्विन मास की संकष्टी चतुर्थी पर बन रहा है विशेष योग.....जानिए तिथि, मुहूर्त, महत्व
Bhumika Sahu
22 Sep 2021 1:58 AM GMT
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हर महीने के शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि गणेशजी को समर्पित होता है. इस दिन भगवान गणेश की विधि - विधान से पूजा करने से आपकी सभी मनोकामानाएं पूरी होती है.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। हिंदू धर्म में शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि बहुत महत्वपूर्ण होती है. ये दिन भगवान गणेश को समर्पित होता है. हर माह में शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को विनायक चतुर्थी कहा जाता है औक कृष्ण पक्ष में पड़ने वाले तिथि को गणेश संकष्टी के रूप में मनाया जाता है. इन दोनों दिन भक्त भगवान गणेश की विधि- विधान से पूजा अर्चना होती है.
मान्यता है कि इस दिन भगवान गणेश की विधि विधान से पूजा अर्चना करने से घर में सुख- समृद्धि का वास होता है और विघ्ननाहर्ता आपके सभी दुखों को हर लेते हैं. हिंदू कैलेंडर के अनुसार कल यानी 21 सितंबर 2021 से आश्विन मास प्रारंभ हुआ है. आइए जानते हैं आश्विन मास की संकष्टी की चतुर्थी कब है और चंद्रोदय का शुभ समय और पूजा विधि से जुड़ी महत्वपूर्ण बातों के बारे में.
सकंष्टी चतुर्थी शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार, आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि का प्रारंभ 24 सितंबर 2021 को शुक्रवरा के दिन सुबर 08 बजकर 29 मिनट पर हो रहा है. इस तिथि का समापन 25 सितंबर 2021 के दिन सुबह 10 बजकर 36 मिनट पर होगा. गणेश जी की पूजा दोपहर के समय में होती है. ऐसे में आप राहु काल का ध्यान कर गणपति की पूजा अर्चना करें. इस बार चतुर्थी पर सवार्थ सिद्धि और अभिजित योग बन रहा है. 24 सितंबर को सुबह 06 बजकर 10 मिनट से सुबह 08 बजकर 54 मिनट तक सवार्थ सिद्धि योग बन रहा है. वहीं, राहुकाल सुबह 10 बजकर 42 मिनट से दोपहर 12 बजकर 13 मिनट तक है. इसके अलावा अभिजित मुहूर्त या विजय मुहूर्त में गणेश जी की पूजा कर सकते हैं.
आश्विन मास की संकष्टमी चतुर्थी के दिन चंद्रमा का दर्शन किया जाता है और उन्हें अर्घ्य दिया जाता है. 24 सितंबर को चतुर्थी तिथि के दिन रात 08 बजकर 20 मिनट पर होगा. इस समय में आप चंद्रमा के दर्शन कर सकते हैं.
संकष्टी चतुर्थी पूजा विधि
संकष्टी चतुर्थी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और इस दिन पीले या लाल रंग के वस्त्र पहनना शुभ होता है. इस दिन सबसे पहले पूजा स्थल की अच्छाई तरह से सफाई कर लें. इसके बाद लाल रंग के आसन पर गणेश जी की प्रतिमा को स्थापित करें. उनके सामने घी का दीप प्रजवलित करें और सिंदूर से तिलक करें. इसके बाद गणेश जी को फल- फूल और मिष्ठान का भोग लगाएं. पूजा में गणेश जी को 21 दर्वा गांठे विभिन्न नामों से उच्चारित करके अर्पित करें. सकंष्टी चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की पूजा होती है और शाम में चंद्रदेव को अर्घ्य देते हुए पूर्ण होती है. इस दिन सामर्थ्य अनुसार दान करने का विशेष महत्व होता है.
संकष्टी चतुर्थी महत्व
मान्यता है कि इस दिन सच्चे मन से गणेशजी की पूजा करने से आपके सभी संकट दूर हो जाते है. इसलिए इस तिथि को संकष्टी चतुर्थी कहा जाता है.
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