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धर्म-अध्यात्म
हनुमान जयंती पर बन रहा है विशेष योग, जानें पूजा शुभ मुहूर्त तथा महत्व
Triveni
27 April 2021 1:59 AM GMT
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हिंदू धर्म के अनुसार चैत्र मास की पूर्णिमा तिथि को हनुमान जयंती (Hanuman Jayanti) का त्योहार मनाया जाता है. आज हनुमान जयंती है.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क| हिंदू धर्म के अनुसार चैत्र मास की पूर्णिमा तिथि को हनुमान जयंती (Hanuman Jayanti) का त्योहार मनाया जाता है. आज हनुमान जयंती है. हनुमान जी को बल, बुद्धि और विद्या का प्रतीक माना जाता है. इस दिन हनुमान जी की पूजा करने से भक्तों से सभी कष्ट दूर हो जाते हैं. हनुमान जयंती के दिन मंगलवार पड़ रहा है. ये दिन हनुमानजी को समर्पित होता है. इसलिए इसकी महत्वता और बढ़ गई है.
इस दिन भक्त हनुमान जी की विधि विधान से पूजा करते हैं. वहीं कुछ लोग व्रत रखते हैं. इस बार हनुमान जयंती पर शुभ योग बन रहा है. हनुमान जयंती पर सिद्धि और व्यातीपात नामक दो योग बन रहे हैं. सिद्धि योग में की गई पूजा फलीभूत होती है. सिद्धि योग शाम 8 बजकर 3 मिनट तक रहेगा. इस योग में पूजा करने से घर में सुख- समृद्धि आती है.
पूजा शुभ मुहूर्त
पूर्णिमा तिथि आरंभ – 26 अप्रैल 2021 की दोपहर 12 बजकर 44 मिनट से
पूर्णिमा तिथि समापन – 27 अप्रैल 2021 की रात 9 बजकर 01 मिनट तक रहेगा.
पूजा विधि
हनुमान जयंती के दिन सुंदरकांड का पाठ कराने से शुभ होता है. जो लोग सुंदरकांड का पाठ कराते हैं उनके जीवन में कोई परेशानी नहीं होती हैं. इस पाठ को कराने से भगवान राम का आशीर्वाद मिलता है. अगर आप पाठ नहीं करा सकते हैं तो सुने जरूर. इसेस भी लाभ मिलता है. इस खास दिन पर भक्त गरीबों को खाना खिलाते हैं. साथ ही दान- पुण्य करने का विशेष महत्व है.
इस दिन का महत्व
भगवान शिव के 11वें अवतार हनुमान जी हैं. हनुमान जी को अलग- अलग से नाम जाना जाता है. इस दिन भगवान हनुमान का जन्म हुआ था. हनुमान जी आपके सभी कष्टों को दूर करते हैं इसलिए उन्हें संकंटमोचन के नाम से जाना जाता है.
इस मंत्रों का करें जाप
हनुमान जयंती के दिन हनुमान मंदिर में संकंटमोचन को लाल चोला चढ़ाना चाहिए. इसके बाद घी या तेल का दीप प्रजवलित कर हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए. इसके बाद 11 बार हनुमान मंत्रों का जाप करना चाहिए.
ऊं हनुमते नमः
ऊं अंजनेयाय विद्महे वायुपुत्राय धीमहि। तन्नो हनुमत प्रचोदयात्
ऊं ऐं भीम हनुमते श्री राम दोत्याय नमः
ऊं दैत्यनुमुखाय पंचमुख हनुमते करलाबलदाय
मंगल भवन अमंगलहारी द्रवहु सो दशरथ अजिर विहारी
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