धर्म-अध्यात्म

सोम प्रदोष व्रत पर बन रहा है विशेष योग...जाने शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

Subhi
20 May 2021 4:49 AM GMT
सोम प्रदोष व्रत पर बन रहा है विशेष योग...जाने शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
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हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का खास महत्व होता है. प्रदोष व्रत के दिन देवों के देव महादेव और माता पार्वती की पूजा होती है.

हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का खास महत्व होता है. प्रदोष व्रत के दिन देवों के देव महादेव और माता पार्वती की पूजा होती है. हर महीने में दो प्रदोष व्रत आते हैं. वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत पड़ रहा है. इस बार प्रदोष व्रत 24 मई 2021 को है. सोमवार तिथि पड़ने की वजह से सोमप्रदोष व्रत कहा जाता है. इस बार सोम प्रदोष व्रत पर ग्रहों और नक्षत्रों का विशेष योग बन रहा है. जिसकी वजह से इस व्रत को बहेद फलदायी माना जा रहा है.

सोमवार का दिन भगवान शिव को समर्पित होता है. इस दिन प्रदोष व्रत पड़न से इसका महत्व अधिक बढ़ गया है. प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव और माता पार्वती की विधि- विधान से पूजा- अर्चना की जाती है. इस दिन भक्त निर्जला या फलाहार व्रत करते हैं. आइए जानते हैं सोम प्रदोष व्रत से जुड़ी बातों के बारे में.
पूजा का शुभ मुहूर्त
त्रयोदशी तिथि आरंभ- 24 मई 2021 की सुबह 3 बजकर 38 मिनट से शुरू होगा
त्रयोदशी तिथि समाप्त- 25 मई 2021 रात 12 बजकर 11 मिनट तक
पूजा का समय – शाम 7 बजकर 10 मिनट से रात 09 बजकर 13 मिनट कर रहेगा.
प्रदोष व्रत नियम
प्रदोष व्रत के दिन सुबह- सुबह स्नान कर पूजा अर्चना करें और पूरा दिन निर्जला व्रत करें. इस दिन एक समय में फलाहार करना चाहिए. इसके अलावा अन्न, नमक, मिर्च और अनाज का सेवन नहीं करना चाहिए.
प्रदोष व्रत का महत्व
प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा अर्चना करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है. इस दिन व्रत करने से जीवन में सुख- समृद्धि आती है. मान्यता है कि प्रदोष व्रत करने से वैवाहिक जीवन सुखमय होता है.
पूजा विधि
त्रयोदशी तिथि को सुबह सुबह उठकर स्नान करना चाहिए और साफ कपड़े पहनें.
इसके बाद भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा अर्चना करें.
इसके बाद शाम के समय में स्नान करने के बाद भगवान शिव की विधि विधान से पूजा अर्चना करें.
पूजा में दूध, शहद, घी और गंगाजल आदि का अभिषेक करें. माता पार्वती को लाल चुनरी और सुहागिन का सामान अर्पित करें.
भगवान शिव और माता पार्वती को फूल, अक्षत, नैवेद्य चढ़ाएं.
इसेक बाद शिव मंत्रों का जाप और चालीसा का पाठ करें.


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