धर्म-अध्यात्म

रविवार के दिन सूर्यदेव की पूजा का विशेष महत्व

Nilmani Pal
26 Sep 2021 2:25 AM GMT
रविवार के दिन सूर्यदेव की पूजा का विशेष महत्व
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रविवार का दिन सूर्यदेव को समर्पित होता है.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। रविवार का दिन सूर्यदेव को समर्पित होता है. इस दिन सूर्यदेव की पूजा-अर्चना करने से अक्षय फल की प्राप्ति होती है. हिंदू धर्म में सूर्यदेव की पूजा का विशेष महत्व है. कहते हैं कि सूर्यदेव की अराधना बेहद लाभकारी होती है. सच्चे मन से भगवान भास्कर की पूजा करने से भक्तों से भगवान जल्दी प्रसन्न होते हैं और उन्हें सुख-समृद्धि प्रदान करते हैं. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार नवग्रहों में सूर्यदेव को प्रथम ग्रह के रूप में माना जाता है. भगवान सूर्य की अराधना करने से व्यक्ति सेहतमंद बनता है. रविवार के दिन सूर्यदेव की पूजा के साथ-साथ आरती करने से भगवान जल्दी प्रसन्न होते हैं.

सूर्यदेव की पूजा का महत्व
मान्यता है कि रविवार के दिन भगवान सूर्य की पूजा करने से भाग्य उदय होता है. रविवार के दिन भगवान की उपासना करने के लिए सुबह-सुबह स्नान करके भगवान सूर्यदेव की पूजा की जाती है. पूजा में धूप, दीप और पुष्प चढ़ाकर पूजा करते हैं और फिर आरती उतारते हैं. कहते हैं कि जब सूर्यदेव प्रसन्न होते हैं तो सभी अशुभ कार्य शुभ कार्यों में परिणित हो जाते हैं.
रविवार के दिन करें सूर्यदेव की ये आरती
सूर्य देव की आरती
ॐ जय सूर्य भगवान, जय हो दिनकर भगवान।
जगत् के नेत्रस्वरूपा, तुम हो त्रिगुण स्वरूपा।
धरत सब ही तव ध्यान, ॐ जय सूर्य भगवान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान..।।
सारथी अरुण हैं प्रभु तुम, श्वेत कमलधारी। तुम चार भुजाधारी।।
अश्व हैं सात तुम्हारे, कोटि किरण पसारे। तुम हो देव महान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान..।।
ऊषाकाल में जब तुम, उदयाचल आते। सब तब दर्शन पाते।।
फैलाते उजियारा, जागता तब जग सारा। करे सब तब गुणगान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान..।।
संध्या में भुवनेश्वर अस्ताचल जाते। गोधन तब घर आते।।
गोधूलि बेला में, हर घर हर आंगन में। हो तव महिमा गान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान..।।
देव-दनुज नर-नारी, ऋषि-मुनिवर भजते। आदित्य हृदय जपते।।
स्तोत्र ये मंगलकारी, इसकी है रचना न्यारी। दे नव जीवनदान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान..।।
तुम हो त्रिकाल रचयिता, तुम जग के आधार। महिमा तब अपरम्पार।।
प्राणों का सिंचन करके भक्तों को अपने देते। बल, बुद्धि और ज्ञान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान..।।
भूचर जलचर खेचर, सबके हों प्राण तुम्हीं। सब जीवों के प्राण तुम्हीं।।
वेद-पुराण बखाने, धर्म सभी तुम्हें माने। तुम ही सर्वशक्तिमान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान..।।
पूजन करतीं दिशाएं, पूजे दश दिक्पाल। तुम भुवनों के प्रतिपाल।।
ऋतुएं तुम्हारी दासी, तुम शाश्वत अविनाशी। शुभकारी अंशुमान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान..।।
ॐ जय सूर्य भगवान, जय हो दिनकर भगवान।
जगत् के नेत्रस्वरूपा, तुम हो त्रिगुण स्वरूपा।स्वरूपा।।
धरत सब ही तव ध्यान,
।।ॐ जय सूर्य भगवान।।


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