धर्म-अध्यात्म

ज्येष्ठ पूर्णिमा पर बन रहा है विशेष संयोग, जानें चंद्रोदय का समय

Subhi
13 Jun 2022 4:57 AM GMT
ज्येष्ठ पूर्णिमा पर बन रहा है विशेष संयोग, जानें चंद्रोदय का समय
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हिंदू धर्म ग्रंथों में पूर्णिमा तिथि का विशेष महत्व होता है। हर माह के आखिरी दिन पूर्णिमा का व्रत रखा जाता है। लेकिन ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा को पूजा पाठ पर विशेष फल व पुण्य की प्राप्ति होती है।

हिंदू धर्म ग्रंथों में पूर्णिमा तिथि का विशेष महत्व होता है। हर माह के आखिरी दिन पूर्णिमा का व्रत रखा जाता है। लेकिन ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा को पूजा पाठ पर विशेष फल व पुण्य की प्राप्ति होती है। इस बार ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा 14 जून मंगलवार के दिन पड़ रही है।

इस दिन वट पूर्णिमा व्रत भी रखा जाएगा। वट पूर्णिमा का व्रत पति की लंबी आयु, दांप्तय सुख और पुत्र की कामना के लिए रखा जाता है। पूर्णिमा के दिन स्नान और दान की विशेष परंपरा है। ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन सत्यनारायण भगवान की कथा और पूजा की जाती है।

ऐसी मान्यता है कि पूर्णिमा की रात को मां लक्ष्मी की पूजा करने से धन-वैभव की प्राप्ति होती है। साथ ही, चंद्र की पूजा से चंद्र दोष से छुटकारा मिलता है। आइए जानते हैं ज्येष्ठ पूर्णिमा की तिथि, शुभ मुहूर्त और चंद्रोदय के समय के बारे में।

ज्येष्ठ पूर्णिमा व्रत तिथि

पंचांग के आधार पर देखा जाए तो 13 जून सोमवार को रात 09 बजकर 02 मिनट पर ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि प्रारंभ हो रही है। यह तिथि 14 जून मंगलवार को शाम 05 बजकर 21 मिनट तक मान्य है। हालांकि व्रत एवं पूजा के लिए उदयातिथि की मान्यता है। ऐसे में ज्येष्ठ पूर्णिमा व्रत 14 जून मंगलवार को रखा जाएगा।

ज्येष्ठ पूर्णिमा पूजा मुहूर्त

ज्येष्ठ पूर्णिमा पर साध्य और शुभ योग बन रहा है। इस दिन सुबह साध्य योग 09 बजकर 40 मिनट तक हैं। उसके बाद से शुभ योग शुरु हो जाएगा, जो पूरी रात है। इस दिन का शुभ समय 11 बजकर 54 मिनट से दोपहर 12 बजकर 49 मिनट के मध्य है। आप 14 जून को प्रात:काल में पूर्णिमा व्रत की पूजा कर सकते हैं। रात के समय में चंद्रमा की पूजा करें।

ज्येष्ठ पूर्णिमा चंद्रोदय समय

ज्येष्ठ पूर्णिमा की रात चंद्रोदय शाम 07 बजकर 29 मिनट पर होगा। चंद्रास्त का समय प्राप्त नहीं है। पूर्णिमा को चंद्रमा की पूजा के लिए ज्यादा रात तक इंतजार नहीं करना होगा। इस रात आप जल में दूध, शक्कर, फूल और अक्षत् मिलाकर चंद्र देव को अर्पित करें। कुंडली में चंद्रमा से जुड़े दोष दूर हो जाएंगे और साधक को सुख की प्राप्ति होगी।


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