धर्म-अध्यात्म

राखी बांधते समय बोलें यह मंत्र, जानिए रक्षा सूत्र का महत्व

Shiddhant Shriwas
22 Aug 2021 2:08 AM GMT
राखी बांधते समय बोलें यह मंत्र, जानिए रक्षा सूत्र का महत्व
x
रक्षाबंधन का त्योहार हो या फिर कोई पूजा-अनुष्ठान, सबसे पहले माथे पर तिलक लगाकर हाथ में मौली बाँधने का विधान है

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। रक्षाबंधन का त्योहार हो या फिर कोई पूजा-अनुष्ठान, सबसे पहले माथे पर तिलक लगाकर हाथ में मौली बाँधने का विधान हैं। भाई की कलाई हो या कोई भी धार्मिक कार्य कलावा (रक्षासूत्र,मौली) के बिना पूजा संपन्न नहीं होती।'मौली'का शाब्दिक अर्थ है 'सबसे ऊपर'। मौली का तात्पर्य सिर से भी है और वहीं मौली को कलाई में बांधने के कारण इसे कलावा भी कहते हैं। शंकर भगवान के सिर पर चन्द्रमा विराजमान हैं इसीलिए उन्हें चंद्रमौली भी कहा जाता है। किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत करते समय या नई वस्तु खरीदने पर हम कलावा जरूर बांधते हैं ताकि वह हमारे जीवन में सुख-समृद्धि प्रदान कर सके। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि हाथ में राखी या रक्षासूत्र अथवा मौली बांधने की जो प्रथा सदियों से चली आ रही है,आखिर इसकी वजह क्या है? शास्त्रों में वर्णित है कि कलावा बांधने की परंपरा तब से चली आ रही है, जब से महान, दानवीरों में अग्रणी महाराज बलि की अमरता के लिए वामन भगवान ने उनकी कलाई पर रक्षासूत्र बांधा था।

एक अन्य प्रसंग के अनुसार जब वामन भगवान राजा बलि के साथ पाताल लोक चले गए तब माता लक्ष्मी ने भगवान विष्णु यानि अपने पति को वापस लाने के लिए गरीब स्त्री का रूप धारण किया और राजा बलि के पास पहुंच गईं। राजा बलि को अपना भाई बनाकर राखी बांध दी एवं इसके बदले उन्होंने भगवान विष्णु को पाताल लोक से ले जाने का वचन मांग लिया।

यह मंत्र बोलकर बांधें राखी

सनातन धर्म में अनेक रीति-रिवाज तथा मान्यताएं हैं जिनका सिर्फ धार्मिक ही नहीं, वैज्ञानिक पक्ष भी है जो वर्तमान समय में भी एकदम सटीक है। मौली को रक्षा कवच के रूप में भी शरीर पर बांधा जाता है। मौली को संकल्प, रक्षा एवं विश्वास का प्रतीक माना जाता है। धर्म ग्रंथों के अनुसार मौली बाँधने से त्रिदेव -ब्रह्मा,विष्णु व महेश एवं त्रिदेवियां-लक्ष्मी,पार्वती व सरस्वती की असीम कृपा प्राप्त होती है। ब्रह्माजी की कृपा से कीर्ति विष्णुजी की अनुकंपा से रक्षाबल मिलता है और भगवान शिव दुर्गुणों का विनाश करते हैं। आज भी लोग कलावा बांधते वक्त इस मंत्र का उच्चारण करते हैं।

येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबल:।

तेन त्वामनुबध्नामि रक्षे मा चल मा चल।।

शरीर विज्ञान की दृष्टि से देखा जाए तो कलावा बाँधने से स्वास्थ्य उत्तम रहता है। त्रिदोष -वात, पित्त तथा कफ का शरीर में संतुलन बना रहता है।

क्या हैं राखी बाँधने के नियम

सबसे पहले गणेश जी की पूजा करनी चाहिए, क्योंकि हर शुभ काम करने से पहले गणेश जी की पूजा का विधान है। इसके बाद भाई को पूर्व या उत्तर दिशा में अपना चेहरा कर बैठना चाहिए। शास्त्रों के अनुरूप पुरुषों और अविवाहित कन्याओं को दाएं हाथ में रक्षासूत्र बाँधना चाहिए एवं विवाहित स्त्रियों के लिए बाएं हाथ में राखी बाँधने का विधान है। रक्षा सूत्र बंधवाते वक्त सिर पर रूमाल या कोई कपड़ा अवश्य रखें और बांधने वाली बहन का सिर भी ढंका होना चाहिए। राखी बांधते समय बहनें लाल, गुलाबी, पीले या केसरिया रंग कपड़े पहने तो अच्छा होता है। राखी का बांधा जाना हमें उस संकल्प को याद करते रहना तथा उसकी पूर्ति के लिए प्रयास करते रहना सिखाता है। मनोवैज्ञानिक दृष्टि से हाथ में रक्षासूत्र बंधे होने से व्यक्ति को स्वयं ही परमात्मा द्वारा अपनी रक्षा होने का आभास होता है। जिससे मन में शांति व आत्मबल में वृद्धि होती है।

Next Story