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धर्म-अध्यात्म
सोमवार को है सोम प्रदोष व्रत इस दिन करें प्रदोष व्रत कथा का श्रवण,सभी मनोकामनाएं होंगी पूरी
Kajal Dubey
13 Feb 2022 2:53 AM GMT
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माघ माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 14 फरवरी दिन सोमवार को सोम प्रदोष व्रत है.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। माघ माह (Magh Month) के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी (Trayodashi) तिथि 14 फरवरी दिन सोमवार को है. इस दिन सोम प्रदोष व्रत है. सोम प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव (Lord Shiva) की पूजा होती है और व्रत रखते हैं. सोम प्रदोष व्रत रखने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. भगवान शिव अपने भक्तों को आशीर्वाद से अभिभूत करते हैं और उनको भयमुक्त करते हैं. जो लोग व्रत रखते हैं उनको सोम प्रदोष व्रत कथा का श्रवण अवश्य करना चाहिए. सोम प्रदोष व्रत कथा (Som Pradosh Vrat Katha) का श्रवण करने से व्रत का पूर्ण फल मिलता है.
सोम प्रदोष व्रत कथा
कथा के अनुसार, एक विधवा गरीब ब्रह्माणी एक नगर में रहती थी. वह प्रत्येक दिन भिक्षा मांगकर अपना और बेटे का पेट पालती थी. उसके पति का स्वर्गवास काफी समय पूर्व हो गया था. सुबह होते ही वह अपने बेटे के साथ भिक्षा मांगने नगर में निकल जाती थी.
एक दिन वह भिक्षा मांगकर घर जा रही थी, तभी रास्ते में एक लड़का घायल अवस्था में दिखा. वह उसे अपने घर लेकर आई. पता चला कि वह विदर्भ का राजकुमार है. उसने बताया कि उसके राज्य पर शत्रुओं का हमला हुआ था, जिसमें वह घायल हो गया और पिता बंदी बना लिए गए.
वह राजकुमार अब ब्राह्मणी के घर में ही रहने लगा. एक दिन एक गंधर्व कन्या अंशुमति ने राजकुमार को देखा, तो उस पर मोहित हो गई. उसने उस राजकुमार से विवाह करने की बात अपने पिता से बताई, तो राजा और रानी भी उस राजकुमार से मिले. वे उस राजकुमार से मिलकर बहुत प्रसन्न हुए.
एक दिन भगवान शिव ने राजा को स्वप्न में दर्शन दिए, जिसमें भोलेनाथ ने राजा को अपनी बेटी का विवाह राजकुमार से करने का आदेश दिया. शिव आज्ञानुसार, राजा ने बेटी अंशुमति का विवाह राजकुमार से कर दिया.
वह विधवा ब्राह्मणी प्रदोष व्रत करती थी. उस व्रत के पुण्य प्रभाव एवं राजा की सेना की मदद से उस राजकुमार ने अपने विदर्भ राज्य पर फिर से नियंत्रण प्राप्त कर लिया. राजकुमार विदर्भ का राजा बना और उसने ब्राह्मणी के बेटे को अपना प्रधानमंत्री नियुक्त कर दिया. इस प्रकार से प्रदोष व्रत के पुण्य प्रभाव से ब्राह्मणी का बेटा राजा का प्रधानमंत्री बन गया और उनकी गरीबी दूर हो गई. वे सुखपूर्वक जीवन व्यतीत करने लगे.
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