धर्म-अध्यात्म

स्कंद षष्ठी आज, जानें पूजा विधि और महत्व

Apurva Srivastav
13 May 2024 6:17 AM GMT
स्कंद षष्ठी आज, जानें पूजा विधि और महत्व
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नई दिल्ली : सनातन धर्म में हर एक तिथि का विशेष महत्व बताया गया है. हिंदू पंचांग के अनुसार स्कंद षष्ठी व्रत के दिन भगवान शिव के पुत्र कार्तिकेय और माता पार्वती की पूजा करने का विधान है. धार्मिक ग्रंथों के अनुसार भगवान कार्तिकेय का नाम स्कंद है. जो व्यक्ति इस दिन व्रत करता है उसके जीवन में सुख-समृद्धि और शांति आती है. इसके अलावा उन्हें संतान प्राप्त होती है. स्कंद षष्ठी व्रत मुख्यतः दक्षिण भारत के प्रमुख त्योहारों में से एक माना गया है. इस बार स्कंद षष्ठी 13 मई, 2024 को पड़ रही है. आइए जानते हैं इस व्रत का शुभ मुहूर्त और इसके महत्व के बारे में.
स्कंद षष्ठी व्रत 2024 | Skand Shashthi Vrat 2024
स्कंद षष्ठी वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाई जाती है जिसकी शुरुआत 13 मई, 2024 को सुबह 2:03 बजे से हो रही है. इसका समापन अगले दिन यानी 14 मई, 2024 को सुबह 2:50 बजे पर होगा.
स्कंद षष्ठी का महत्व
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार स्कंद षष्ठी भगवान कार्तिकेय को समर्पित की गई है. मान्यता है कि इस दिन भगवान कार्तिकेय ने संसार में बढ़ रहे कुकर्म को समाप्त करने के लिए जन्म लिया था. भगवान कार्तिकेय दक्षिण भारत में मुरूगन, कुमार, सुब्रमण्यम (Subramanyam) जैसे नामों से प्रसिद्ध हैं. प्रचलित मान्यता के अनुसार च्यवन ऋषि ने स्कंद षष्ठी को उपासना की थी, जिसकी वजह से उनकी आंखों की रोशनी वापस आ गई थी.
स्कंद षष्ठी के दिन क्या करें और क्या ना करें
स्कंद षष्ठी के दिन भगवान धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान कार्तिकेय के निमित्त व्रत रखकर उनकी विधि-विधान से पूजा करने से हर प्रकार के कष्टों से मुक्ति मिलती है, संतान की प्राप्ति होती है और धन वैभव बढ़ता है. इस दिन दान करना भी बेहद पुण्यकर माना जाता है. स्कंद षष्ठी के दिन स्कंद देव की स्थापना करने से और उनके समक्ष अखंड दीपक जलाने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है. मान्यता है कि इस दिन मांस-मदिरा और तामसिक भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए.
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