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रवि योग पर स्कंद षष्ठी व्रत, जानिए शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
हर माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को स्कंद षष्ठी का व्रत रखा जाता है। इस बार ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को स्कंद षष्ठी का व्रत रखा जा रहा है। इस दिन भगवान शिव के बड़े पुत्र कार्तिकेय की पूजा की जाती है। मान्यता है कि इस दिन कार्तिकेय की पूजा करने से संतान सुख के साथ घर में सुख शांति बनी रहती हैं। क्ति के अधिदेव और देवताओं के सेनापति हैं भगवान कार्तिकेय की पूजा करने से शत्रुओं के ऊपर भी विजय प्राप्त होती है। जानिए स्कंद षष्ठी का शुभ मुहूर्त,मंत्र और पूजा विधि।
स्कंद षष्ठी 2022 पूजा मुहूर्त
ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि का प्रारंभ- 05 जून , रविवार को सुबह 04 बजकर 52 मिनट पर
ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि समाप्त- 06 जून सोमवार को सुबह 06 बजकर 39 मिनट पर समाप्त
उदया तिथि को आधार पर 05 जून को स्कंद षष्ठी का व्रत रखा जाएगा।
रवि योग- सुबह 05 बजकर 23 मिनट से प्रारंभ होकर देर रात 12 बजकर 25 मिनट तक
अभिजीत मुहूर्त- सुबह 11 बजकर 52 मिनट से दोपहर 12 बजकर 47 मिनट तक
स्कंद षष्ठी व्रत की पूजा विधि
ब्रह्म मुहूर्त में उठकर नित्य कार्यों से निवृत्त होकर स्नान आदि करके साफ कपड़े धारण कर लें।
भगवान कार्तिकेय का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लें
पूजा घर में जाकर विधिवत तरीके से पहले भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करें।
अब कार्तिकेय जी की पूजा करें।
सबसे पहले थोड़ा सा जल अर्पित करें।
पुष्प, माला, फल, मेवा, कलावा, सिंदूर, अक्षत, चंदन, मोर पंख आदि अर्पित कर दें
अब भगवान कार्तिकेय को भोग लगाएं
घी का दीपक-धूप करके मंत्र का जाप करें और फिर आरती कर लें।
अंत में भूल चूक के लिए माफी मांग लें।
भगवान कार्तिकेय का मंत्र
देव सेनापते स्कंद कार्तिकेय भवोद्भव।
कुमार गुह गांगेय शक्तिहस्त नमोस्तु ते॥