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सीता जी ने त्रिजटा से लकड़ी एकत्र कर चिता बनाने को कहा, सीता माता को समझाने का प्रयास किया
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। Hanuman ji dropped ring in front of Sita ji: लंका पहुंच कर हनुमान जी अशोक वाटिका में गए और वहां पर जानकी जी की स्थिति देख कर दुखी हुए. इसी बीच रावण ने वहां पहुंच कर तरह तरह का लालच देते हुए विवाह करने पर पटरानी बनाने का वादा तक किए किंतु दृढ़ प्रतिज्ञ सीता जी ने उसे फटकार दिया कि वह ऐसा सोचना भी बंद कर दे क्योंकि वह तो श्री रघुनाथ जी के अलावा अन्य किसी पुरुष के बारे में मन में विचार भी नहीं ला सकती हैं. उसने वहां की सुरक्षा में तैनात राक्षसियों को एक माह में राजी कराने का आदेश दिया और चला गया. इसी बीच त्रिजटा नाम की रक्षसी ने अन्य राक्षसियों को अपना सपना बताया जिसमें एक बंदर ने लंका को जला दिया है लंका का शासन विभीषण के हाथों में आने के साथ ही रावण यमपुरी को चला गया. त्रिजटा ने विश्वासपूर्वक कहा कि उसका सपना कुछ ही दिनों में सच होकर रहेगा. त्रिजटा के सपने की बातें सुन कर सभी राक्षसियां डर गयी और जानकी जी के चरणों में गिर पड़ीं.