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पूजा में गाएं आरती कुंजबिहारी की, कान्हा की शीघ्र होगी कृपा
ज्योतिष न्यूज़: हिंन्दू धर्म में पर्व त्योहारों की कमी नहीं हैं इन्हीं में से एक श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का भी त्योहार हैं जो कि भगवान कृष्ण की पूजा अर्चना को समर्पित होता हैं। पंचांग के अनुसार भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी पर भगवान विष्णु के आठवे अवतार श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था जिसे कृष्ण जन्माष्टमी के तौर पर देशभर में बड़ी धूमधाम के साथ मनाया जाता हैं।
इस दिन भक्त प्रभु के बाल स्वरूप की पूजा करते हैं और उपवास आदि भी रखते हैं मान्यता है कि कृष्ण उत्सव पर अगर बाल गोपाल की आराधना की जाए तो उत्तम फल की प्राप्ति होती हैं इस साल कृष्ण जन्माष्टमी का उत्सव 6 और 7 सितंबर को मनाया जा रहा हैं इस दिन पूजा पाठ में अगर प्रभु की प्रिय आरती पढ़ी जाए तो भगवान अतिशीघ्र कृपा करते हैं तो आज हम आपके लिए लेकर आए हैं आरती कुंजबिहारी की।
कृष्ण आरती—
आरती कुंजबिहारी की,
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥
आरती कुंजबिहारी की,
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥
गले में बैजंती माला,
बजावै मुरली मधुर बाला ।
श्रवण में कुण्डल झलकाला,
नंद के आनंद नंदलाला ।
गगन सम अंग कांति काली,
राधिका चमक रही आली ।
लतन में ठाढ़े बनमाली
भ्रमर सी अलक,
कस्तूरी तिलक,
चंद्र सी झलक,
ललित छवि श्यामा प्यारी की,
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥
॥ आरती कुंजबिहारी की...॥
कनकमय मोर मुकुट बिलसै,
देवता दरसन को तरसैं ।
गगन सों सुमन रासि बरसै ।
बजे मुरचंग,
मधुर मिरदंग,
ग्वालिन संग,
अतुल रति गोप कुमारी की,
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की ॥
॥ आरती कुंजबिहारी की...॥
read aarti kunj bihari ki on krishna janmashtami puja
जहां ते प्रकट भई गंगा,
सकल मन हारिणि श्री गंगा ।
स्मरन ते होत मोह भंगा
बसी शिव सीस,
जटा के बीच,
हरै अघ कीच,
चरन छवि श्रीबनवारी की,
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की ॥
॥ आरती कुंजबिहारी की...॥
चमकती उज्ज्वल तट रेनू,
बज रही वृंदावन बेनू ।
चहुं दिसि गोपि ग्वाल धेनू
हंसत मृदु मंद,
चांदनी चंद,
कटत भव फंद,
टेर सुन दीन दुखारी की,
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की ॥
॥ आरती कुंजबिहारी की...॥
आरती कुंजबिहारी की,
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥
आरती कुंजबिहारी की,
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥