धर्म-अध्यात्म

दाम्पत्य जीवन को सुखमय बनाने के सरल उपाय

Tara Tandi
13 Dec 2021 12:54 PM GMT
दाम्पत्य जीवन को सुखमय बनाने के सरल उपाय
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दाम्पत्य सुख में उत्पन्न हो रही बाधाओं को दूर करने के लिए जन्म कुंडली के ग्रह योगानुसार अशुभ ग्रह को शुभ बनाने हेतु उपाय किए जा सकते हैं.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। इस आधुनिक युग की भाग-दौड़ में परेशान व्यक्ति क्या चाहता है ? केवल कुछ पलों की शांति, जब वह घर में आये तो सभी परेशानियों को भूल जाये और अपने पारिवारिक सदस्यों के बीच सुख का कुछ समय बिता सके. दुर्भाग्य की बात है कि यह संतोष सभी को नहीं मिलता.

आज गृह क्लेश अपने पैर इतने पसार चुका है, कि इसका असर हम अपने आस-पड़ोस में देख सकते हैं. दाम्पत्य सुख में उत्पन्न हो रही बाधाओं को दूर करने के लिए जन्म कुंडली के ग्रह योगानुसार अशुभ ग्रह को शुभ बनाने हेतु उपाय किए जा सकते हैं. सामान्यतः जन्म कुंडली के सप्तम भाव से दाम्पत्य जीवन का विचार किया जाता है. यदि सप्तम भाव पर पाप ग्रहों का प्रभाव हो, तो दाम्पत्य सुख में बाधा आती है.
नैसर्गिक पाप ग्रहों में सूर्य, मंगल, शनि, राहु एवं केतु आते हैं. सूर्य का प्रभाव सप्तम भाव पर होने पर जीवनसाथी से स्वाभिमान का टकराव होता है. फलस्वरूप पति-पत्नी के अलग-अलग रहने की स्थितियां बन जाती है . ऐसे व्यक्तियों को रविवार के दिन लाल वस्त्र पहनने से बचना चाहिए. मंगल को दाम्पत्य सुख के लिए पीड़ादायक ग्रह माना जाता है, क्योंकि मंगल मांगल्य भी है और अंगार भी। इसके नकारात्मक प्रभाव यदि मिले तो विवाह संपन्न होने में अवरोध एवं विवाह के बाद दाम्पत्य जीवन में विवाद होते हैं.
मंगल के दुष्प्रभाव के कारण पति-पत्नी में मारपीट एवं हिंसा की स्थिति उत्पन्न हो जाती है. ऐसी स्थिति में दाम्पत्य जीवन नरक तुल्य हो जाता है. बचाव के लिए पति-पत्नी दोनों को चांदी का आभूषण अवश्य धारण करना चाहिए. गले में चांदी की जंजीर अथवा हाथ में चांदी का ब्रेसलेट धारण किया जा सकता है. पति-पत्नी में से जिसका स्वभाव उग्र हो , उसे मिर्च एवं तीखी वस्तुओं का सेवन नहीं करना चाहिए. यदि व्यक्ति मांसाहारी हो, तो उसे शाकाहारी बनना चाहिए. यदि शनि का अशुभ प्रभाव अधिक हो, तो विवाह के बाद भी जीवनसाथी के प्रति उत्साह एंव उमंग की भावना नहीं होती. दाम्पत्य जीवन में परस्पर आकर्षण का अभाव होता है. इस कारण साथ रहते हुए भी पति-पत्नी पृथक् रहने के समान जीवन व्यतीत करते हैं .
ऐसी स्थिति में शनि के दुष्प्रभाव को शांत करने के लिए व्यक्ति को मंगलवार के दिन नवीन लाल वस्त्र धारण करना चाहिए. पति को लाल वस्त्र खरीदकर पत्नी को भेंट स्वरूप देने चाहिए. कुंडली में दाम्पत्य भाव पर राहु के दुष्प्रभाव के कारण दाम्पत्य जीवन में विषय स्थितियों का सामना करना पड़ता है. पति-पत्नी के दाम्पत्य जीवन में अन्य व्यक्ति के दखल के कारण बाधाएं खड़ी होती है,ऐसे जातक का दाम्पत्य जीवन तब तक खराब रहता है जब तक कि वह अन्य व्यक्तियों के परामर्श के अनुसार कार्य करते रहते हैं.
यदि जातक के कुंडली में राहु का दुष्परिणाम दाम्पत्य जीवन पर आए तो उसका जीवन सुखमय नहीं हो सकता अतः ऐसे व्यक्ति को सर्वप्रथम किसी भी प्रकार की नशीली एवं विषैली वस्तुओं का सेवन नहीं करना चाहिए. क्योंकि राहु नशा कराने एवं दाम्पत्य जीवन में गाली-गलौज, अपशब्द का प्रयोग कराता है. पति-पत्नी एक-दूसरे की निन्दा एवं आलोचना करते हैं. अतः दाम्पत्य जीवन को सुखमय बनाने के लिए अपने जीवनसाथी की प्रशंसा करनी चाहिए.
दाम्पत्य जीवन को सुखमय बनाने हेतु कुछ सरल उपाय-
1- यदि पति - पत्नी में परस्पर तू - तू - मैं - मैं एवं वाक्युद्ध होता हो, तो ऐसे व्यक्तियों को बुधवार के दिन कुछ समय के लिए मौन व्रत करना चाहिए.
2- शुक्रवार के दिन सफेद एवं रसीला मिष्ठान लाकर जीवनसाथी को खिलाना चाहिए.
3- शुक्रवार के दिन यदि इत्र या परफ्यूम की शीशी खरीदकर घर में रखें तो भी पति-पत्नी के मध्य सामंजस्य बढ़ता है.
4- यदि दाम्पत्य जीवन में परस्पर सामंजस्य एवं सहयोग भावना की कमी हो, तो ऐसे दम्पत्ति को प्रत्येक गुरुवार के दिन राम-सीता के मंदिर में जाकर दर्शन करने चाहिए तथा प्रसाद भोग लगाकर मंदिर में बांटना चाहिए.
5- यदि जीवनसाथी का स्वभाव उग्र हो, तो ऐसे व्यक्ति को ससुराल से चांदी का आभूषण उपहार स्वरूप दिलवाना चाहिए तथा व्यक्ति को उसे हर समय धारण करना चाहिए.
6- यदि जामुन के पत्ते शनिवार के दिन लाकर शयन कक्ष में रखें जायें तो पति-पत्नी में कलह नहीं होता है. दोनों में दाम्पत्य प्रेम बना रहेगा .


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