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जब कुंडली के नवम भाव में राहु और सूर्य की युति होती है तो पितृ दोष का निर्माण होता है. पितृ दोष सभी तरह के दुखों को एक साथ देने की क्षमता रखता है. पौष के महीने को पितरों के कार्यों के लिए काफी शुभ माना जाता है. यहां जानिए इसकी वजह और उपाय के बारे में.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। ज्योतिष के अनुसार सूर्य और राहु एक साथ जिस भाव में भी बैठते हैं, उस भाव के सभी फल नष्ट हो जाते हैं. नवम भाव में सूर्य और राहु की युति से पितृ दोष का निर्माण होता है. नवम भाव पिता का भाव है और सूर्य को पिता का कारक माना जाता है. साथ ही उन्नति, आयु, धर्म का भी कारक माना जाता है. इस कारण जब पिता के भाव पर राहु जैसे पापी ग्रह की छाया पड़ती है तो पितृ दोष लगता है. पितृ दोष कुंडली में मौजूद ऐसा दोष है जो व्यक्ति को एक साथ तमाम दुख देने की क्षमता रखता है. पितृ दोष लगने पर व्यक्ति के जीवन में समस्याओं का अंबार लगा रहता है.
ऐसे लोगों को कदम कदम पर दुर्भाग्य का सामना करना पड़ता है. परिवार आर्थिक संकट से जूझता रहता है, व्यक्ति को उसकी मेहनत का पूरा फल प्राप्त नहीं होता है, इस कारण तरक्की बाधित होती है. संतान सुख आसानी से प्राप्त नहीं होता. इस कारण जीवन लगातार उतार चढ़ावों से जूझता रहता है. इन दिनों पौष का महीना चल रहा है. ये महीना पितरों से जुड़े कार्यों के लिए काफी अच्छा माना जाता है. यहां जानिए पितृ दोष के कारण और पितृ दोष निवारण के आसान उपाय.
पितृ दोष की वजह समझें
पितृ दोष की वजह समझने से पहले ये जानना जरूरी है कि पितर होते कौन हैं. दरअसल पितर हमारे पूर्वज होते हैं जो अब हमारे मध्य में नहीं हैं. लेकिन मोहवश या असमय मृत्यु को प्राप्त होने के कारण आज भी मृत्युलोक में भटक रहे हैं. इस भटकाव के कारण उन्हें काफी परेशानी झेलनी पड़ती है और वो पितृ योनि से मुक्त होना चाहते हैं. लेकिन जब वंशज पितरों की तृप्ति के लिए श्रद्धापूर्वक विधि विधान से श्राद्ध कर्म नहीं करते हैं, धर्म कार्यो में पितरों को याद न करते हैं, धर्मयुक्त आचरण नहीं करते हैं और किसी निरअपराध की हत्या करते हैं, ऐसी स्थिति में पूर्वजों को महसूस होता है कि उनके वंशज उन्हें पूरी तरह से भुला चुके हैं. इन हालातों में ही पितृ दोष उत्पन्न होता है और ये कुंडली के नवम भाव में राहु और सूर्य की युति के साथ प्रदर्शित होता है.
पितृ दोष के उपाय
– पीपल के वृक्ष की पूजा करने से पितृ दोष समाप्त होता है. अगर संभव हो तो पीपल का वृक्ष अपने हाथों से लगाकर इसकी सेवा करनी चाहिए. इससे पितरों को संतुष्टि मिलती है और वो अपने वंशजों को आशीर्वाद देते हैं.
– सोमवती अमावस्या को दूध की खीर बनाकर पितरों को अर्पित करने से भी पितृ दोष समाप्त होता है. इस दिन किसी ब्राह्मण को घर बुलाकर भोजन कराना चाहिए और सामर्थ्य के अनुसार भोजन और दक्षिणा आदि अर्पित करनी चाहिए. इससे पितृ दोष का प्रभाव कम होता है.
– अमावस्या के दिन पितरों के निमित्त पवित्रता पूर्वक भोजन बनाएं और चावल बूरा, घी और एक-एक रोटी गाय, कुत्ता, और कौआ को खिलाएं. पूर्वजों के नाम से दूध, चीनी, सफेद कपड़ा, दक्षिणा आदि किसी मंदिर में या जरूरतमंद को दें. इससे भी पितर प्रसन्न होते हैं और पितृदोष शांत होने लगता है.
– पितृ पक्ष में पूर्वजों की मृत्यु तिथि के अनुसार तिल, कुशा, पुष्प, अक्षत, गंगा जल सहित पूजन, पिण्डदान, तर्पण करें. इसके बाद ब्राह्माणों को अपने सामर्थ्य के अनुसार भोजन, फल, वस्त्र, दक्षिणा आदि दान करें. अगर आपको उनकी तिथि मालूम न हो तो पितृ पक्ष की अमावस्या के दिन ऐसा करें.
– नियमित रूप से गायत्री मंत्र का जाप करने से भी सूर्य को मजबूती मिलती है और पितृ दोष का प्रभाव कम हो जाता है. इसके अलावा जिस तरह से अपने भगवान से आप पूजा के अंत में अपनी भूल की क्षमा मांगते हैं, उसी तरह से पितरों से भी जाने अंजाने हुई गलतियों की रोज क्षमा मांगें. ऐसा करने से भी पितृदोष का असर कम हो जाता है या समाप्त हो जाता है.
Bhumika Sahu
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