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ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को ज्येष्ठ पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क | ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को ज्येष्ठ पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना करना शुभ माना जाता है। जून माह में 24 तारीफ को यह व्रत रखा जाएगा। इस दिन स्नान-दान का भी विशेष महत्व है।
माना जाता है कि आज के दिन पवित्र नदियों में स्नान करने से व्यक्ति का तन और मन, दोनों पवित्र हो जाते हैं और व्यक्ति के अंदर एक नई ऊर्जा का समावेश होता है। जानिए ज्येष्ठ पूर्णिमा का शभ मुहूर्त, पूजा विधि।
ज्येष्ठ पूर्णिमा का शभ मुहूर्त
पूर्णिमा की तिथि का आरंभ: 24 जून,गुरुवार सुबह 03 बजकर 32 मिनट से
ज्येष्ठ पूर्णिमा का समापन: 25 जून, शुक्रवार को रात 12 बजकर 09 मिनट तक।
चंद्रोदय का समय- शाम 6 बजकर 27 मिनट पर
ब्रह्म मुहूर्त- सुबह 3 बजकर 37 मिनट से 4 बजकर 18 मिनट तक।
अभिजित मुहूर्त- सुबह 11 बजकर 23 मिनट से दोपहर 12 बजकर 18 मिनट तक।
ज्येष्ठ पूर्णिमा की व्रत विधि
पूर्णिमा के दिन सुबह उठकर नित्य कामों ने निवृत्त होकर स्नान करें। इसके बाद भगवान की पूजन करें। इन्द्र और महालक्ष्मी जी की पूजा करते हुए घी का दीपक जलाएं। मां लक्ष्मी की पूजा में गन्ध पुष्प का इस्तेमाल जरूर करें। ब्राह्माणों को खीर का भोजन करवाएं और साथ ही उन्हें दान दक्षिणा देकर विदा करें। लक्ष्मी की प्राप्ति के लिए इस व्रत को विशेष रूप से महिलाएं रखती हैं। इस दिन पूरी रात जागकर जो भगवान का ध्यान करते हैं उन्हें धन-संपत्ति प्राप्ति होती है। रात के वक्त चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद ही खाना खाए।
ज्येष्ठ पूर्णिमा का महत्व
पूर्णिमा के दिन स्नान-दान करना शुभ माना जाता है। इसके अलावा भगवान विष्णु की पूजा करने से दुखों का नाश होता है। पूर्णिमा तिथि पर व्रत रखकर विधिवत विष्णु जी का पूजन करने और चंद्रमा को अर्घ्य देने से आपके घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है। इसके साथ ही मां लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए लक्ष्मी पूजन भी करना शुभ माना जाता है।
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