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धर्म-अध्यात्म
श्रीराम ने अपने प्रिय भाई लक्ष्मण को दिया था मृत्युदंड, आखिर क्यों? जानिए
Rani Sahu
21 April 2022 5:23 PM GMT
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रामायण में अक्सर हम राम और लक्ष्मण के भ्राता प्रेम कहानी सुनते हैं
रामायण में अक्सर हम राम और लक्ष्मण के भ्राता प्रेम कहानी सुनते हैं। जब राम को 14 साल का वनवास मिला तो लक्ष्मण भी सबकुछ छोड़कर अपने बड़े भाई के साथ वन की ओर चल दिए। जीवन के हर मोड़ पर लक्ष्मण ने श्रीराम पर कोई आपत्ति नहीं आने दी। क्या आपको पता है कि श्रीराम ने अपने प्रिय भाई लक्ष्मण को मृत्युदंड देने का आदेश दिया था? ये पौराणिक कहानी उत्तर रामायण में मिलती है।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार एक बार यमराज मुनि का वेस धारण करके भगवान श्रीराम से मिलने अयोध्या पहुंचे। उन्होंने श्रीराम से अकेले में बातचीत करने का आग्रह किया। मुनि को राम ने वचन दिया कि वह उनसे एकांत में बात करेंगे और कोई भी उनकी बातचीत के बीच खलल नहीं डालेगा। अगर कोई ऐसी गुस्ताखी कर भी लेगा, तो वे उसे मृत्युदंड दे देंगे।
इसके बाद श्रीराम ने अपने प्रिय भाई लक्ष्मण को द्वारपाल नियुक्त किया। राम ने लक्ष्मण से कहा कि वह किसी को भी अंदर न आने दें, अगर कोई अंदर आ गया तो वे उसे मृत्युदंड दे देंगे। लक्ष्मण ने अपने बड़े भाई की आज्ञा को स्वीकार किया और द्वारपाल बनकर बाहर खड़ा हो गया। फिर राम और मुनि रूपी यमराज अंदर वार्तालाप करने चले गए।
तभी महान ऋषि दुर्वासा अयोध्या आए और श्रीराम से मिलने के लिए राजमहल में आ पहुंचे। उन्होंने लक्ष्मण से श्रीराम से मिलने की इच्छा प्रकट की। लक्ष्मण ने ऋषि दुर्वासा को प्रणाम किया और बड़ी विनम्रता से कहा कि उन्हें श्रीराम से मिलने के लिए थोड़ा इंतजार करना पड़ेगा। ऋषि दुर्वासा ने कहा कि उन्हें राम से तत्काल मिलना है। लक्ष्मण ने कहा कि वह उन्हें अभी राम से नहीं मिला सकते। लक्ष्मण ने ऋषि से थोड़ी देर आराम करने का आग्रह किया और कहा कि वे उनकी सूचना उनतक पहुंचा देंगे।
लक्ष्मण की बात सुनकर ऋषि दुर्वासा को क्रोध आ गया। दुर्वासा अपने क्रोध के लिए जाने जाते थे। उन्होंने पूरी अयोध्या को भस्म करने का बात कह दी। लक्ष्मण दुविधा में पड़ गए। अगर वे श्रीराम को बुलाने के लिए अंदर जाते हैं तो उन्हें मृत्युदंड दे दिया जाएगा। अगर नहीं जाते हैं तो ऋषि दुर्वासा पूरी अयोध्या को जला देंगे
लक्ष्मण ने अपनी जान की परवाह नहीं कि और वह अंदर चले गए। वहां श्रीराम और मुनि के रूप में यमराज दोनों वार्तालाप कर रहे थे। लक्ष्मण ने राम को ऋषि दुर्वासा के आगमन की सूचना दी। उन्होंने जल्दी यमराज से बातचीत खत्म की और ऋषि दुर्वासा से मिलने पहुंच गए। मगर अब श्रीराम दुविधा में पड़ गए। क्योंकि अपने वचन के अनुसार उन्हें लक्ष्मण को मृत्युदंड देना पड़ेगा।
श्रीराम को इसका कोई समाधान नहीं मिल रहा था। उन्होंने अपने गुरु को याद किया। गुरु ने राम से कहा कि अगर तुम अपने किसी प्रियतम व्यक्ति का त्याग करोगे, तो वह मृत्युदंड के समान ही होगा। ऐसे में तुम्हें लक्ष्मण का त्याग करना होगा। इस तरह श्रीराम ने अपने प्रिय भाई लक्ष्मण का त्याग कर दिया। लक्ष्मण ने भी अपने भाई की आज्ञा का पालन करते हुए जल समाधि ले ली और अपने प्राण त्याग दिए।
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