धर्म-अध्यात्म

इस दिन से शुरू हो रहा है श्रावण मास, जानिए उपाय

Subhi
20 Jun 2022 3:06 AM GMT
इस दिन से शुरू हो रहा है श्रावण मास, जानिए उपाय
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हिन्दू धर्म में श्रवण मास का बहुत ही महत्व है। हिंदी कैलेंडर के अनुसार सावन पांचवां महीना होता है। ज्योतिष शास्त्र की मानें तो जो भक्त सावन के पावन महीने में भगवान भोलेनाथ की विधि विधान से पूजा करते हैं

हिन्दू धर्म में श्रवण मास का बहुत ही महत्व है। हिंदी कैलेंडर के अनुसार सावन पांचवां महीना होता है। ज्योतिष शास्त्र की मानें तो जो भक्त सावन के पावन महीने में भगवान भोलेनाथ की विधि विधान से पूजा करते हैं, उनकी सारी मनोकामना पूर्ण होती हैं। सावन महीने के सोमवार को पूरे विधि-विधान से पूजा-अर्चना करके अगर व्रत रखा जाए तो भगवान शिव प्रसन्न होते हैं। इस बार श्रावण का पवित्र महीना 14 जुलाई से आरंभ हो रहा है, जो 12 अगस्त तक चलेगा। इस बार सावन में कुल 4 सोमवार पड़ रहे हैं। सावन के सोमवार कुंवारी लड़कियां के लिए काफी खास माने जाते हैं। कहते है कि सावन में भगवान शिव की उपासना करने से लड़कियों को मनचाहा वर मिलता है। आइए जानते हैं सावन के महीने में क्यों की जाती है भगवान शंकर की पूजा और इस महीने में किन चीजों से परहेज करना चाहिए।

सावन सोमवार कब से आरंभ

श्रावण मास का पहला सोमवार 18 जुलाई को पड़ रहा है। इसके बाद दूसरा सोमवार 25 जुलाई, तीसरा सोमवार 1 अगस्त, चौथा सोमवार 8 अगस्त को पड़ रहा है। आखिरी सावन 12 अगस्त को हैं और इस दिन शुक्रवार पड़ रहा है।

भगवान शिव को अर्पित करें ये वस्तु

श्रावण मास में भगवान शिव की प्रेम भाव से अगर पूजा जाए तो वो आपकी मनोकामना जरूर पूरी करते हैं। सावन के महीने में भगवान शिव को धतूरा, बेल पत्र, भांग के पत्ते या भांग, दूध, काले तिल, गुड़ आदि चढ़ाना शुभ माना जाता है।

श्रावण मास में ऐसे करें भगवान शिव की आराधना

श्रावण मास में भगवान शिव की पूरे विधि-विधान से पूजा करनी चाहिए। आइए जानते हैं पूजा विधि-

भगवान शिव को स्वच्छता अति प्रिय है, इसलिए साफ सफाई का खास ध्यान रखें।

सुबह सबसे पहले जल्दी उठकर स्नान कर लें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।

घर में बने पूजा स्थान को साफ करें।

भगवान शिव की प्रतिमा स्थापित करने के बाद भगवान शिव का जल से अभिषेक करें।

अगर आप घर में पूजा कर रहे हैं या मंदिर जा रहे हैं तो शिवलिंग पर गंगाजल और दूध चढ़ाएं।

इसके बाद शिवलिंग पर फूल चढ़ाएं, बेलपत्र चढ़ाएं और चंदन लगाकर उनकी आरती करें।


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