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धर्म-अध्यात्म
माता-पिता के भक्त थे श्रवण कुमार, अपवित्र भूमि का था प्रभाव
Tulsi Rao
13 Feb 2022 6:51 PM GMT
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मातृ-पितृ भक्त श्रवण कुमार के मन में भी माता-पिता के लिए अनुचित विचार आ गए थे. यदि नहीं, तो चलिए जानते हैं इस बारे में.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। पौराणिक कथाओं में बहुतायत श्रवण कुमार की भक्ति का उल्लेख किया गया है. यही कारण है कि आज भी योग्य बेटे के लिए श्रवण कुमार की संज्ञा दी जाती है. हर माता-पिती की इच्छा होती है कि उनका पुत्र श्रवण कुमार जैसा बने. परंतु, क्या आप जानते हैं कि मातृ-पितृ भक्त श्रवण कुमार के मन में भी माता-पिता के लिए अनुचित विचार आ गए थे. यदि नहीं, तो चलिए जानते हैं इस बारे में.
श्रवण कुमार के मन में माता-पिता के प्रति आए थे कुविचार
पैराणिक कथा के मुताबिक श्रवण कुमार एक बार अपने माता-पिता को कांवर में बिठाकर तीर्थाटन के लिए निकले. यात्रा के दौरान श्रवण कुमार गुजरात पहुंचे. शाम हो चुकी थी, इसलिए वे रात्रि विश्राम के लिए दाहोद गांव की एक नदी के किनारे रुके. विश्राम के दौरान अचानक श्रवण कुमार के मन में पाप विचार आने लगे. वे सोचने लगे कि आखिर उनका जीवन माता-पिता की सेवा में ही बीत जाएगा? उन्हें ऐसा लगने लगा कि माता-पिता उनके लिए बोझ हो गए हैं. इसलिए माता-पिता को जंगल में छोड़कर अपनी इच्छानुसार जीवन यापन के लिए निकल पड़ना चाहिए. यह सोचकर श्रवण कुमार अपने विचारों से माता-पिता को भी अवगत कराया.
माता-पिता ने श्रवण कुमार के निर्णय पर कुछ पल विचार किया और बिना विचलित हुए कहा कि बेटा! तुम्हारा कथन बिल्कुल सही है. हम वृद्ध हो गए हैं और तुम्हारे ऊपर बोझ बने हुए हैं. हमारे लिए कब तक कष्टों में रहोगे? हमारी चिंता मत करो, हमारा आशीर्वाद हमेशा तुम्हारे साथ है. जाने से पहले हमें नदी के पार छोड़ दो. वहीं नदी किनारे ही हम अपना शेष जीवन व्यतीत कर लेंगे.
श्रवण कुमार पिता की बात मानकर उन्हें नदी के पार ले जाने लगे. नदी के बीच में पहुंचने पर अचानक श्रवण कुमार का मन बदल गया. उन्होंने सोचा कि वे माता-पिता का एकमात्र सहारा हैं. ऐसे में उन्हें अकेला जंगल में छोड़कर जाना उचित नहीं है. उनकी सेवा में जीवन को लगाकर सच्चा संतोष मिलेगा. विचारों में उलझते हुए श्रवण कुमार ने नदी पार कर कांवर उतारी और माता-पिता के चरणों में गिरकर उनसे क्षमा मांगी.
श्रवण कुमार के पश्चाताप पर माता-पिता ने उनके सिर पर हाथ फेरते हुए कहा कि बेटा, इसमें तुम्हारी कोई गलती नहीं है. दरअसल यह उस अपवित्र भूमि का प्रभाव था. वह शापित भूमि थी. जिस कारण वहां से गुजरते वक्त तुम्हारे मन में कुविचार उत्पन्न हुए थे.
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