धर्म-अध्यात्म

Shradh 2021: 20 सितंबर से पितृ पक्ष की हो रही शुरू, जानें श्राद्ध करने की विधि

Deepa Sahu
24 Aug 2021 3:52 PM GMT
Shradh 2021: 20 सितंबर से पितृ पक्ष की हो रही शुरू, जानें श्राद्ध करने की विधि
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हिंदू धर्म में पितृ पक्ष का विशेष महत्व है.

हिंदू धर्म में पितृ पक्ष का विशेष महत्व है. पंचाग के अनुसार अश्विन मास की पूर्णिमा तिथि से ही पितृ पक्ष (Shradh 2021) की शुरुआत होती है. वहीं श्राद्ध का समापन अमावस्या के दिन होता है. श्राद्ध के दिनों में पितरों को यादकर उन्हें आभार व्यक्त किया जाता है. इन दिनों में पितरों का पिंडदान किया जाता है. इंग्लिश कलैंडर के अनुसार श्राद्ध अक्सर सितंबर महीने में ही शुरू होते हैं, जो कि 16 दिन तक चलते हैं. हमारे जो पूर्वज अपने देह का त्याग करके चले जाते हैं उनकी आत्मा की शांति के लिए पितृ पक्ष में तर्पण किया जाता है. इन्हें श्राद्ध भी कहा जाता है. श्राद्ध का मतलब होता है श्रद्धा पूर्वक. ऐसी मान्यता है कि श्राद्ध के दिनों मृत्युलोक के देवता यमरात आत्मा को मुक्त देते हैं. ताकि वे अपने परिजनों के यहां जाकर तर्पण ग्रहण कर सकें.

शास्त्रों के अनुसार पितृ पक्ष में पितरों का तर्पण करने से पितृ दोष दूर होता है. ज्योतिष शास्त्र में पितृ दोष को अशुभ फल देने वाला माना गया है. अतः श्राद्ध में पितरों का तर्पण करने से पितृ दोष से आने वाली परेशानियां दूर होती हैं.
इस दिन से शुरू होगें श्राद्ध (Shradh 2021 Date)
हिंदू पंचाग के अनुसार भादो मास की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि से शुरू होकर अश्विन मास की अमावस्या तक होते हैं. इस साल पितृ पक्ष 20 सितंबर 2021 से शुरू हो रहे हैं और समापन 6 अक्टूर 2021 को होगा. इस साल 26 सितंबर को पितृ पक्ष तिथि नहीं है.
पितृ पक्ष में यूं करें तर्पण
शास्त्रों में श्राद्ध करने की दो प्रकीया बताई गई हैं- एक पिंडदान और दूसरा ब्राह्मण भोजन. बताया गया है कि ब्राह्मण के मुख से देवता हव्य को और पितर कव्य को खाते हैं. श्राद्ध करते समय ध्यान रखें कि घर पर तर्पण के लिए आए ब्राह्मण के पैर धोने चाहिए. ये कार्य करते समय पत्नी को दाईं तरफ होना चाहिए और पति बाईं तरफ हो. श्राद्ध के दिन ध्यान रखें कि उस दिन तेल लगाने, दूसरे का अन्न खाने और स्त्री प्रसंग से परहेज करना चाहिए. इतना ही नहीं, अगर किसी के एक से ज्यादा पुत्र हैं को हर पुत्र को अलग से ही पितरों का श्राद्ध करना चाहिए. ब्राह्मण भोजन के साथ पंचबलि कर्म का भी विशेष महत्व होता है. तर्पण के समय पंचबलि कर्म का भी विशेष ध्यान रखना चाहिए.
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