धर्म-अध्यात्म

इस दिन अश्विन मास की शिवरात्रि, जानिए तिथि, महत्व और पूजा विधि

Shiddhant Shriwas
22 Sep 2021 11:55 AM GMT
इस दिन अश्विन मास की शिवरात्रि, जानिए तिथि, महत्व और पूजा विधि
x
हिंदू पंचांग के अनुसार प्रत्येक माह में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मासिक शिवरात्रि आती है। इस तरह से पूरे वर्ष भर में 12 शिवरात्रि व्रत पड़ते हैं

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। हिंदू पंचांग के अनुसार प्रत्येक माह में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मासिक शिवरात्रि आती है। इस तरह से पूरे वर्ष भर में 12 शिवरात्रि व्रत पड़ते हैं। हिंदू धर्म में महाशिवरात्रि के अलावा मासिक शिवरात्रि का भी विशेष महत्व माना जाता है। इस बार अश्विन मास की शिवरात्रि का व्रत 4 अक्टूबर 2021 दिन सोमवार को किया जाएगा। सोमवार के दिन शिवरात्रि होने से इसका महत्व और भी अधिक बढ़ गया है क्योंकि सोमवार का दिन भी भगवान शिव को समर्पित किया जाता है। इस दिन भक्त विधि-विधान से भगवान शिव का व्रत और पूजन करते हैं। मान्यता है कि इस दिन व्रत करने से जीवन के सभी कष्ट दूर होते हैं और सुख-समृद्धि बनी रहती है। तो आइए जानते हैं मासिक शिवरात्रि का महत्व, शुभ मुहूर्त और सामाग्री लिस्ट सहित पूजन विधि।

मासिक शिवरात्रि का महत्व-

शिव भक्तों के लिए मासिक शिवरात्रि का दिन विशेष महत्व रखता है। इस दिन व्रत और पूजन करने से भगवान शिव की विशेष कृपा होती है। वे अपने भक्तों के कष्टों को दूर करते हैं और उनके आशीर्वाद से मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। मान्यता है कि शिवरात्रि का व्रत रखने से सुख-समृद्धि आती है और ऋण से मुक्ति प्राप्त होती है। इस समय चतुर्मास चल रहा है। इस समय भगवान शिव की पूजा विशेष फलदाई मानी जाती है।

अश्विन मास शिवरात्रि मुहूर्त-

अश्विन मास कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि आरंभ- 04 अक्टूबर दिन सोमवार को रात 09 बजकर 05 मिनट से

अश्विन मास कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि समाप्त- 05 अक्टूबर दिन मंगलवार को रात 07 बजकर 04 मिनट पर

पूजा सामाग्री-

शिवरात्रि की पूजा के लिए, शुद्ध देसी घी, पांच प्रकार के फल, फूल पंचमेवा, रोली या मौली, भोग लगाने के लिए मिष्ठान, बिल्वपत्र, धतूरा, भांग, गाय का दूध, दही, शहद, चंदन, गंगाजल जल, धूप, कपूर, आदि। मां पार्वती को अर्पित करने के लिए लाल चुनरी व श्रृंगार सामग्री।

मासिक शिवरात्रि पूजा विधि-

चतुर्दशी तिथि को प्रातः जल्दी उठकर नित्य क्रिया से निवृत्त होकर स्नानादि करें।

इस समय यदि मंदिर नहीं जा सकते तो घर पर रहकर ही पूजन करें।

सबसे पहले शिव जी के समक्ष पूजा स्थान में दीप प्रज्वलित करें। यदि

घर शिवलिंग है तो दूध, और गंगा जल आदि से अभिषेक करें।

शिवलिंग पर बेलपत्र, धतूरा आदि अवश्य अर्पित करें।

इस दिन भगवान शिव के साथ माता पार्वती की पूजा भी करनी चाहिए।

पूजा करते समय नम: शिवाय मंत्र का उच्चारण करते रहें।

भगवान शिव को भोग लगाएं और आरती करें।


Next Story