धर्म-अध्यात्म

आश्विन मास की शिवरात्रि 24 सितम्बर को, जाने पूजा विधि

Subhi
18 Sep 2022 5:57 AM GMT
आश्विन मास की शिवरात्रि 24 सितम्बर को, जाने पूजा विधि
x
सनातन धर्म में भगवान शिव का स्थान सभी देवी-देवताओं में सबसे ऊंचा है। मान्यता है कि भगवान शिव अपने भक्तों से बहुत जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं और उनकी सभी मनोकामना पूर्ण कर देते हैं।

सनातन धर्म में भगवान शिव का स्थान सभी देवी-देवताओं में सबसे ऊंचा है। मान्यता है कि भगवान शिव अपने भक्तों से बहुत जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं और उनकी सभी मनोकामना पूर्ण कर देते हैं। यही कारण है कि अधिकांश लोग शिवरात्रि अथवा भगवान शिव को समर्पित व्रत रखते हैं। बता दें कि हर महीने की चतुर्दशी तिथि को शिवरात्रि व्रत रखा जाता है। इस वर्ष पवित्र अश्विन मास में मासिक शिवरात्रि व्रत 24 सितंबर 2022, शनिवार (Masik Shivratri 2022 Date) को रखा जाएगा। इस दिन भक्त भगवान शिव के साथ माता पार्वती की विशेष पूजा करते हैं। मान्यता है कि ऐसा करने से भगवान प्रसन्न होते हैं और जिस भक्त से भोलेनाथ प्रसन्न हो जाते हैं उसे दुःख हाथ भी नहीं लगा सकता है। आइए जानते हैं क्या मासिक शिवरात्रि का मुहूर्त और पूजा विधि।

मासिक शिवरात्रि 2022 मुहूर्त (Masik Shivratri 2022 Muhurat)

अश्विन माह कृष्ण पक्ष चतुर्दशी तिथि प्रारंभ: 24 सितंबर 2022, सुबह 02:30 से

चतुर्दशी तिथि समाप्त: 25 सितंबर 2022, सुबह 03:12 तक

मासिक शिवरात्रि व्रत तिथि: 24 सितंबर 2022, शनिवार

मासिक शिवरात्रि 2022 पूजा विधि और महत्व (Masik Shivratri 2022 Importance)

शिवरात्रि के दिन भगवान शिव की पूजा रात्रि में की जाती है और पूरी रात जागरण कर भगवान शिव की उपासना की है। मान्यता है कि ऐसा करने से वैवाहिक जीवन में पैदा हो रही समस्याएं दूर हो जाती हैं और कन्याओं को योग्य वर प्राप्त होता है।

एक रात में चार पहर होते हैं और चारों पहर में भगवान शिव का दूध, दही, शहद, घी से अभिषेक किया जाता है। पूजा के दौरान महामृत्युंजय मंत्र का जाप निरंतर किया जाता है। ऐसा करने से भगवान भोलेनाथ अपने भक्तों से प्रसन्न होते हैं और उनकी सभी मनोकामना पूर्ण कर देते हैं।

बता दें कि पहला पहर सूर्यास्त के बाद शुरू होता है और इसी के साथ भगवान शिव की उपासना भी शुरू हो जाती है। दूसरा पहर रात 9 बजे से और तीसरा पहल मध्यरात्रि 12 बजे से शुरू होता है। चौथा और अंतिम पहर सुबह 3 बजे से शुरू होता है और ब्रह्म मुहूर्त तक पूजा का समापन हो जाता है।


Next Story