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धर्म-अध्यात्म
इस मंदिर में होती है शिव के पैर के अंगूठे की पूजा
Shiddhant Shriwas
4 Oct 2021 7:32 AM GMT
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अभी तक आपने बहुत सारे शिव मंदिरों के महत्त्व (Importance) के बारे में सुना और पढ़ा होगा
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। अभी तक आपने बहुत सारे शिव मंदिरों के महत्त्व (Importance) के बारे में सुना और पढ़ा होगा. तो कई मंदिरों में शिवलिंग और शिव प्रतिमा के दर्शन भी किये होंगे. लेकिन आज हम आपको भगवान भोलेनाथ के उस मंदिर (Temple) के बारे में बताते हैं. जहां शिव जी के पैर के अंगूठे (Toe) की पूजा की जाती है. ये मंदिर कौन सा है और कहां स्थापित है, साथ ही शिव जी के अंगूठे की पूजा के पीछे क्या पौराणिक कथा है. आइये जानते हैं इसके बारे में.
अचलेश्वर महादेव मंदिर में होती है शिव जी के अंगूठे की पूजा
माउंट आबू के अचलेश्वर महादेव मंदिर में शिव जी के दाहिने पैर के अंगूठे की पूजा होती है. यह मंदिर माउंट आबू से करीब 11 किलोमीटर दूर उत्तर में अचलगढ़ की पहाड़ियों पर स्थित है. यह पहली जगह है जहां शिव भगवान की प्रतिमा या शिवलिंग की पूजा नहीं की जाती बल्कि उनके अंगूठे की पूजा की जाती है. ऐसी मान्यता है कि यहां के विशाल पर्वत भगवान शिव के अंगूठे की वजह से ही टिके हुए हैं. अगर शिव जी का अंगूठा न होता तो ये पर्वत नष्ट हो जाते.
ये है अंगूठे को पूजे जाने की पौराणिक कथा
माउंट आबू के अचलेश्वर मंदिर में भगवान शिव के पैर के अंगूठे की पूजा किये जाने के पीछे की एक पौराणिक कथा है. इसके अनुसार एक बार अर्बुद पर्वत पर स्थित नंदीवर्धन हिलने लगा था. उस समय इस पर्वत पर नंदी जी भी थे. पर्वत हिलने की वजह से हिमालय पर तपस्या कर रहे भगवान शिव की तपस्या में विघ्न पहुंचने लगा और उनकी तपस्या भंग हो गई. शिव जी ने नंदी को बचाने के लिए हिमालय से ही अपने अंगूठे को अर्बुद पर्वत तक पहुंचा दिया और पर्वत को हिलने से रोक कर स्थिर कर दिया.
यही वजह है कि भगवान शिव के पैर का अंगूठा अर्बुद पर्वत को उठाए हुए है. इसी वजह से इस पर्वत पर बने इस मंदिर में भगवान शिव के पैर के अंगूठे की पूजा की जाती है. अचलेश्वर मंदिर बेहद प्राचीन मंदिर है. इसकी प्राचीनता को मंदिर परिसर में लगा चंपा का पेड़ भी दर्शाता है.
Shiddhant Shriwas
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