धर्म-अध्यात्म

Shiva Stuti: सावन सोमवार पर ऐसे करें भगवान भोलेनाथ की पूजा, मिलेगा आशीर्वाद

Tara Tandi
5 Aug 2024 5:55 AM GMT
Shiva Stuti: सावन सोमवार पर ऐसे करें भगवान भोलेनाथ की पूजा, मिलेगा आशीर्वाद
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Shiva Stuti ज्योतिष न्यूज़: आज यानी 5 अगस्त को सावन का तीसरा सोमवार है जो कि शिव साधना आराधना के लिए श्रेष्ठ दिन माना गया है इस दिन भक्त भगवान भोलेनाथ की आराधना और भक्ति में लीन रहते हुए उपवास आदि करते हैं माना जाता है कि ऐसा करने से सुख और सफलता का आशीर्वाद प्राप्त होता है साथ ही कुंवारी कन्याएं दिन व्रत करती है तो उन्हें मनचाहा जीवनसाथी मिलता है।
इसके अलावा अगर वैवाहिक जीन में तनाव या दुख बना हुआ है तो आप उपवास करते हुए आज के दिन शिव पार्वती की विधिवत पूजा करें ऐसा करने से जातक को लाभ की प्राप्ति होती है। सावन माह के सोमवार पर व्रत पूजा करने से कार्यों में सफलता मिलती है और रोग, दोष व क्लेश दूर हो जाता है इसके अलावा धन, सुख, समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए आज के दिन पूजा के दौरान अगर शिव स्तुति का पाठ किया जाए तो जातक को सुख समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है और दुखों का समाधान हो जाता है तो आज हम आपके लिए लेकर आए हैं ये चमत्कारी पाठ।
शिव स्तुति
पशूनां पतिं पापनाशं परेशं गजेन्द्रस्य कृत्तिं वसानं वरेण्यम।
जटाजूटमध्ये स्फुरद्गाङ्गवारिं महादेवमेकं स्मरामि स्मरारिम।1।
महेशं सुरेशं सुरारातिनाशं विभुं विश्वनाथं विभूत्यङ्गभूषम्।
विरूपाक्षमिन्द्वर्कवह्नित्रिनेत्रं सदानन्दमीडे प्रभुं पञ्चवक्त्रम्।2।
गिरीशं गणेशं गले नीलवर्णं गवेन्द्राधिरूढं गुणातीतरूपम्।
भवं भास्वरं भस्मना भूषिताङ्गं भवानीकलत्रं भजे पञ्चवक्त्रम्।3।
शिवाकान्त शंभो शशाङ्कार्धमौले महेशान शूलिञ्जटाजूटधारिन्।
त्वमेको जगद्व्यापको विश्वरूप: प्रसीद प्रसीद प्रभो पूर्णरूप।4।
परात्मानमेकं जगद्बीजमाद्यं निरीहं निराकारमोंकारवेद्यम्।
यतो जायते पाल्यते येन विश्वं तमीशं भजे लीयते यत्र विश्वम्।5।
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न भूमिर्नं चापो न वह्निर्न वायुर्न चाकाशमास्ते न तन्द्रा न निद्रा।
न गृष्मो न शीतं न देशो न वेषो न यस्यास्ति मूर्तिस्त्रिमूर्तिं तमीड।6।
अजं शाश्वतं कारणं कारणानां शिवं केवलं भासकं भासकानाम्।
तुरीयं तम:पारमाद्यन्तहीनं प्रपद्ये परं पावनं द्वैतहीनम।7।
नमस्ते नमस्ते विभो विश्वमूर्ते नमस्ते नमस्ते चिदानन्दमूर्ते।
नमस्ते नमस्ते तपोयोगगम्य नमस्ते नमस्ते श्रुतिज्ञानगम्।8।
प्रभो शूलपाणे विभो विश्वनाथ महादेव शंभो महेश त्रिनेत्।
शिवाकान्त शान्त स्मरारे पुरारे त्वदन्यो वरेण्यो न मान्यो न गण्य:।9।
शंभो महेश करुणामय शूलपाणे गौरीपते पशुपते पशुपाशनाशिन्।
काशीपते करुणया जगदेतदेक-स्त्वंहंसि पासि विदधासि महेश्वरोऽसि।10।
त्वत्तो जगद्भवति देव भव स्मरारे त्वय्येव तिष्ठति जगन्मृड विश्वनाथ।
त्वय्येव गच्छति लयं जगदेतदीश लिङ्गात्मके हर चराचरविश्वरूपिन।11।
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