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शिव और सिद्ध योग में हैं शिवपूजा से मिलेगा विशेष फल

Admin4
10 March 2021 12:04 PM GMT
शिव और सिद्ध योग में हैं   शिवपूजा से मिलेगा विशेष  फल
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फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को महाशिवरात्रि मनाई जाती है।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क | फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को महाशिवरात्रि मनाई जाती है। यदि शिवरात्रि त्रिस्पृशा अर्थात त्रयोदशी, चतुर्दशी और अमावस्या के स्पर्श से युक्त हो, तो परमोत्तम मानी गई है। गुरुवार 11 तारीख को फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की प्रात:काल त्रयोदशी और दोपहर 2.39 के पश्चात चतुर्दशी तिथि है। गुरुवार को यदि शिवरात्रि पड़े तो इसे अत्यंत शुभ माना जाता है। इसे एश्वर्य योग भी कहा जाता है।

इस दिन शिव और सिद्ध योग है तथा श्रीवत्स और सौम्य योग भी है, जो कि अत्यंत शुभ है। यह पर्व सत्य और शक्ति दोनों को पोषित करता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी तिथि में चन्द्रमा सूर्य के समीप होता है। अत: इसी समय जीवन रूपी चन्द्रमा का शिवरूपी सूर्य के साथ योग होता है। अत: इस चतुर्दशी को शिवपूजा अभीष्ट फलदेने वाली होगी। शिव पुराण की ईशान संहिता में बताया गया है कि फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी की रात्रि में आदिदेव भगवान शिव करोड़ों सूर्यों के समान प्रभाव वाले लिंग के रूप में प्रकट हुए थे। उनका वर्णन कुछ इस प्रकार मिलता है: फाल्गुन कृष्ण चतुर्दश्याम आदिदेवो महानिशि। शिवलिंगतयोद्भूत: कोटिसूर्य समप्रभ:॥

महाशिवरात्रि पर बन रहा शिव योग के साथ सिद्ध योग, पंचक व राहुकाल का सही समयगुरुवार को शिव और सिद्ध योग में शिवरात्रि, इस दिन शिवपूजा से मिलेगा अभीष्ट फल

इस दिन भद्रा रहेगी, लेकिन शिवपूजन में भद्रा निष्प्रभावी होती है। सर्वकामना पूर्ति के लिए नदी के तट से लाई गई मिट्टी से बने शिवलिंग की विधि-विधान से पूजा करें। शिवरात्रि के दिन भगवान शिव की अष्ट मूर्तियों को आठ मन्त्रों से पुष्पांजलि दें। घर के वास्तु दोषों का शमन होगा। अपने घर के पूर्व क्षेत्र से प्रारम्भ कर सभी आठ दिशाओं में मंत्र का उच्चारण करते हुए पुष्प और जल

अर्पित करें। मंत्र इस प्रकार हैं: ऊं शर्वाय क्षितिमूर्तये नम:। ऊं भवाय जलमूर्तये नम:। ऊं रुद्राय अग्निमूर्तये नम:। ऊं उग्राय वायुमूर्तये नम:। ऊं भीमाय आकाश मूर्तये नम:। ऊं पशुपतये यजमानमूर्तये नम:। ऊं महादेवाय सोममूर्तये नम:। ऊं ईशानाय सूर्यमूर्तये नम:।

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