धर्म-अध्यात्म

Shattila Ekadashi 2022 Katha: कल है षटतिला एकादशी, पढ़ें ये व्रत कथा

Rani Sahu
27 Jan 2022 5:17 PM GMT
Shattila Ekadashi 2022 Katha: कल है षटतिला एकादशी, पढ़ें ये व्रत कथा
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षटतिला एकादशी व्रत 28 जनवरी को है

Shattila Ekadashi 2022 Katha And Vrat Vidhi: षटतिला एकादशी व्रत 28 जनवरी को है. माघ मास (Magh Month) के कृष्ण पक्ष की एकादशी ति​थि को षटतिला एकादशी व्रत रखा जाता है. ऐसी मान्‍यता है कि इस दिन तिल दान करने से पुण्‍य प्राप्‍त होते हैं. इसके साथ ही यह मान्‍यता है कि इस दिन भगवान विष्‍णु की विध‍िवत पूजा करने और षटतिला एकादशी व्रत कथा (shattila ekadashi vrat katha) पढने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. पौराणिक कथा के अनुसार, नारद जी ने भगवान विष्णु से षटतिला एकादशी की कथा और उसके महत्व के बारे में बताने का निवेदन किया था. तब भगवान विष्णु ने उनको षटतिला एकादशी कथा (shattila ekadashi katha) सुनाई थी. जानिये षटतिला एकादशी व्रत कैसे किया जाता है और यहां षटतिला एकादशी व्रत कथा भी पढें.

षटतिला एकादशी की व्रत कथा
बहुत समय पहले की बात है. एक नगर में एक ब्राह्मणी निवास करती थी. वह भगवान श्रीहरि विष्णु की भक्त थी. वह भगवान विष्णु के सभी व्रतों को नियम से करती थी. ऐसे ही एक बार उसने 1 महीने तक व्रत और उपवास रखा. इसकी वजह से शरीर दुर्बल हो गया, लेकिन तन शुद्ध हो गया. अपने भक्त को देखकर भगवान ने सोचा कि तन शुद्धि से इसे बैकुंठ तो प्राप्त हो जाएगा, लेकिन उसका मन तृप्त नहीं होगा. उसने एक गलती की थी कि व्रत के समय कभी भी किसी को कोई दान नहीं दिया था. इस वजह से उसे विष्णुलोक में तृप्ति नहीं मिलेगी. तब भगवान स्वयं उससे दान लेने के लिए उसके घर पर गए.
वे उस ब्राह्मणी के घर भिक्षा लेने गए, तो उसने भगवान विष्णु को दान में मिट्टा का एक पिंड दे दिया. श्रीहरि वहां से चले आए. कुछ समय बाद ब्राह्मणी का निधन हो गया और वह विष्णुलोक पहुंच गई. उसे वहां पर रहने के लिए एक कुटिया मिली, जिसमें कुछ भी नहीं था सिवाय एक आम के पेड़ के. उसने पूछा कि इतना व्रत करने का क्या लाभ? उसे यहां पर खाली कुटिया और आम का पेड़ मिला. तब श्रीहरि ने कहा कि तुमने मनुष्य जीवन में कभी भी अन्न या धन का दान नहीं दिया. य​ह उसी का परिणाम है. यह सुनकर उसे पश्चाताप होने लगा, उसने प्रभु से इसका उपाय पूछा.


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