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शक्ति की उपासना का महापर्व शारदीय नवरात्र आश्विन शुक्ल प्रतिपदा 15 अक्तूबर यानी रविवार को चित्रा नक्षत्र व वैधृति योग के युग्म संयोग में कलश स्थापना के साथ शुरू होगा. इस बार नवरात्र के पहले दिन रविवार होने से भगवती दुर्गा का आगमन गज पर हो रहा है. देवी भागवत पुराण के अनुसार देवी मां के गज यानी हाथी पर आगमन पर पर्याप्त वर्षा होती है. वहीं जगतजननी का गमन चरणायुध (मुर्गे) पर हो रहा है. देवी माता के इस गमन से लोगों में विकलता व तबाही की स्थिति बनती है. दुर्गा पूजा के दौरान दुर्गा सप्तशती व अन्य धार्मिक ग्रंथों के पाठ करने या संकल्प देकर योग्य ब्राह्मणों द्वारा करवाने से अनिष्ट ग्रहों से छुटकारा, रोग-शोक का नाश, पीड़ाओं से मुक्ति, धन-धान्य, ऐश्वर्य, ज्ञान, वैभव, कौशल में वृद्धि, पारिवारिक सौहार्द, आपसी प्रेम, निरोग काया और स्थिर लक्ष्मी की प्राप्ति होती है.
नवरात्र में मां दुर्गा के नौ रूपों की होगी पूजा
नवरात्र के नौ दिन मां दुर्गा के नौ रूपों की आराधना होती है. पहले दिन मां शैलपुत्री, दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी, तीसरे दिन मां चंद्रघंटा, चौथे दिन मां कुष्मांडा, पांचवें दिन मां स्कंदमाता, छठे दिन मां कात्यायनी, सातवें दिन मां कालरात्रि, आठवें दिन मां महागौरी और नौवें और अंतिम दिन सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है.
कलश स्थापना के शुभ मुहूर्त
प्रतिपदा तिथि : सुबह 6:16 बजे से रात्रि 11:52 बजे तक
चर मुहूर्त : सुबह 7:16 बजे से 08:42 बजे तक
लाभ मुहूर्त : सुबह 8:42 बजे से 10:09 बजे तक
अमृत मुहूर्त : सुबह 10:09 बजे से 11:35 बजे तक
अभिजीत मुहूर्त : दोपहर 11:12 बजे से 11:58 बजे तक
शुभ योग मुहूर्त : मध्याह्न 01:02 बजे से 02:28 बजे तक
गुलिकाल मुहूर्त : मध्याह्न 02:28 बजे से 03:55 बजे तक
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