धर्म-अध्यात्म

इस दिन से शुरू हो रही है शारदीय नवरात्रि, जाने घटस्थापना का शुभ मुहूर्त

Subhi
5 Sep 2022 3:42 AM GMT
इस दिन से शुरू हो रही है शारदीय नवरात्रि, जाने घटस्थापना का शुभ मुहूर्त
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भक्ति, श्रद्धा और आस्था का पर्व नवरात्रि है. ये त्योहार मां शक्ति को समर्पित होता है. इस दौरान 9 दिनों तक मां शक्ति के 9 नौ रूपों की पूजा की जाती है. साल में नवरात्रि चार बार आती है. पहली चेत्र और दूसरी शारदीय नवरात्रि.

भक्ति, श्रद्धा और आस्था का पर्व नवरात्रि है. ये त्योहार मां शक्ति को समर्पित होता है. इस दौरान 9 दिनों तक मां शक्ति के 9 नौ रूपों की पूजा की जाती है. साल में नवरात्रि चार बार आती है. पहली चेत्र और दूसरी शारदीय नवरात्रि. इसके अलावा 2 गुप्त नवरात्रि होती है, लेकिन चेत्र और शारदीय नवरात्रि का ही अधिक महत्व है. शारदीय नवरात्रि शुरू होने के कुछ ही दिन बाकी हैं. यह नवरात्रि अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से नवमी तक मनायी जाती है.

मां करती है सभी कष्ट दूर

लोगों की ऐसी मान्यता है कि नौ दिन तक व्रत और मां शक्ति के विभिन्न रूपों की आराधना करने से मनोकामना पूरी होती है और सभी कष्ट दूर होते हैं. नवरात्रि के पहले दिन कलश की स्थापना की जाती है. इसे घटस्थापना भी कहा जाता है.

इस समय करें घटस्थापना

शारदीय नवरात्रि 26 सितंबर से शुरू होगी. इस दिन सुबह 3 बजकर 23 मिनट से शुरू प्रतिपदा तिथि शुरू हो जाएगी और 27 सितंबर को 3 बजकर 8 मिनट पर खत्म हो जाएगी. ऐसे में 26 सिंतबर को सुबह 6 बजकर 28 मिनट से 8 बजकर 1 मिनट के बीच घटस्थापना की जा सकती है.

इस दौरान न करें घटस्थापना

नवरात्रि के पहले दिन किए जाने वाला घटस्थापना महत्वपूर्ण अनुष्ठान है. इसको करने के भी कुछ नियम हैं, जिनका पालन न करने से उचित फल नहीं मिलता है. ऐसे में सही समय पर घटस्थापना करना काफी जरूरी होता है. अमावस्या और रात के समय गलती से भी घटस्थापना ना करें.

पूजा सामग्री

घटस्थापना के लिए कुछ पूजन सामग्री चाहिए. साफ मिट्टी और मिट्टी का बर्तन सप्त धान्य के लिए. 7 अलग-अग तरह के अनाज, छोटा मिट्टी या पीतल का घड़ा, गंगा जल, कलावा, इत्र, सुपारी, कलश में रखने के लिए सिक्का और ढकने के लिए ढक्कन, आम या अशोक के 5 पत्ते, अक्षत, बिना छिला नारियल, लाल कपड़ा, गेंदे के फूल और दूर्वा घास.

ऐसे करें घटस्थापना

मिट्टी के बर्तन में मिट्टी डालकर इसमें अनाज डालें. इस तरह से तीन परत बनाएं. इसके बाद थोड़ा पानी डालें. कलश में गंगाजल भरकर, उसमें कलावा बांध लें. इस पानी में सुपारी, अक्षत और सिक्का डालें. अब आम या अशोक के 5 पत्तों को कलश के किनारे पर रखें. अब नारियल पर लाल कपड़ा बांधकर कलश पर रख दें और इस पर कलावा लपेट दें. मां दुर्गा की प्रार्थना कर कलश को 9 दिन के लिए उनकी प्रतिमा या तस्वीरे के आगे रख दें.

न्यूज़ क्रेडिट: ज़ी न्यूज़

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