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नवदुर्गाओं में शैलपुत्री का सर्वाधिक महत्व है। पर्वतराज हिमालय के घर मां भगवती अवतरित हुईं, इसीलिए उनका नाम शैलपुत्री पड़ा। अगर जातक शैलपुत्री का ही पूजन करते हैं तो उन्हें नौ देवियों की कृपा प्राप्त होती है। शुक्ल और ब्रह्म योग में देवी भगवती का आगमन हो रहा है। यह देवी भगवती का लक्ष्मी रूप है। दीपावली से पहले ही मां लक्ष्मी घर-मंदिरों में विराजमान होंगी। इस बार किसी भी तिथि का क्षय नहीं है। पूरे नौ दिन नवरात्र हैं। अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 48 बजे से 1236 तक रहेगा। इस समय कलश स्थापना करना विशेष मंगलकारी है।
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नवरात्र की सभी तिथियां 26 सितंबर से 4 अक्तूबर तक एक सीधे क्रम में रहेंगी। 3 अक्तूबर को दुर्गा अष्टमी, 4 को महानवमी होगी। इस साल मां दुर्गा हाथी की सवारी पर पृथ्वी लोक में पधारेंगी। जिस दिन से नवरात्र का प्रारंभ होता है उसी दिन के अनुसार, माता अपने वाहन पर सवार होकर आती हैं। विजयदशमी को बुधवार के दिन नौका की सवारी से मां वापस जाएंगी।