धर्म-अध्यात्म

Shardiya Navratri: मां कालरात्रि की पूजा में कर लें ये काम, पूरी होगी हर मनोकामना

Tara Tandi
9 Oct 2024 9:58 AM GMT
Shardiya Navratri: मां कालरात्रि की पूजा में कर लें ये काम, पूरी होगी हर मनोकामना
x
Shardiya Navratri ज्योतिष न्यूज़ : हिंदुओं का प्रमुख पर्व नवरात्रि चल रहा है जिसका आरंभ इस बार 3 अक्टूबर से हो चुका है और समापन 11 अक्टूबर को हो जाएगा। इसके अलगे दिन दशहरा पर्व मनाया जाएगा। आज यानी 9 अक्टूबर दिन बुधवार को शारदीय नवरात्रि का सातवां दिन है जो कि मां दुर्गा के सातवें स्वरूप मां कालरात्रि को समर्पित है इस दिन भक्त माता रानी के इस रूप की विधिवत पूजा करते हैं
माना जाता है कि मां कालरात्रि की पूजा अर्चना जीवन का कल्याण करती है और दुख परेशानियों को दूर कर देती है। नवरात्रि के सातवें दिन मां कालरात्रि को प्रसन्न करने व उनका आशीर्वाद पाने के लिए माता की विधिवत पूजा करें साथ ही साथ देवी की कथा का पाठ जरूर करें माना जाता है कि ऐसा करने से माता शीघ्र प्रसन्न होकर कृपा करती हैं।
मां कालरात्रि की कथा—
पौराणिक कथा के अनुसार, नमुची नाम के राक्षस को इंद्रदेव ने मार दिया था, जिसका बदला लेने के लिए शुंभ और निशुंभ नाम के दो दुष्ट राक्षसों ने रक्तबीज नाम के एक अन्य राक्षसों के साथ देवताओं पर हमला कर दिया. देवताओं के वार से उनके शरीर से रक्त की जितनी बूंदे गिरी, उनके पराक्रम से अनेक दैत्य उत्पन्न हुए.
जिसके बाद बहुत ही तेजी से सभी राक्षसों ने मिलकर पूरे देवलोक पर कब्जा कर लिया.देवताओं पर हमला कर विजय प्राप्त करने में रक्तबीज के साथ महिषासुर के मित्र चंड और मुंड ने उनकी मदद की थी, जिसका वध मां दुर्गा के द्वारा हुआ था. चंड-मुंड के वध के बाद सभी राक्षस गुस्से से भर गए. उन्होंने मिलकर देवताओं पर हमला कर दिया और उनको पराजित कर तीनों लोकों पर अपना राज्य स्थापित कर लिया और चारों ओर तबाही मचा दी. राक्षसों के आतंक से डरकर सभी देवता हिमालय पहुंचे और देवी पार्वती से प्रार्थना की.
मां पार्वती ने देवताओं की समस्या को समझा और उनकी सहायता करने के लिए चंडिका रूप धारण किया. देवी चंडिका शुंभ और निशुंभ द्वारा भेजे गए अधिकांश राक्षसों को मारने में सक्षम थीं. लेकिन चंड व मुंड और रक्तबीज जैसे राक्षस बहुत शक्तिशाली थे और वह उन्हें मारने में असमर्थ थी. तब देवी चंडिका ने अपने शीर्ष से देवी कालरात्रि की उत्पत्ति की. मां कालरात्रि ने चंड व मुंड से युद्ध किया और अंत में उनका वध करने में सफल रही. मां के इस रूप को चामुंडा भी कहा जाता है.
मां कालरात्रि ने सभी राक्षसों का वध कर दिया, लेकिन वह अब भी रक्तबीज का वध नहीं कर पाई थीं. रक्तबीज को ब्रह्मा भगवान से एक विशेष वरदान प्राप्त था कि यदि उसके रक्त की एक बूंद भी जमीन पर गिरती है, तो उसके बूंद से उसका एक और हमशक्ल पैदा हो जाएगा. इसलिए, जैसे ही मां कालरात्रि रक्तबीज पर हमला करती रक्तबीज का एक और रूप उत्पन्न हो जाता. मां कालरात्रि ने सभी रक्तबीज पर आक्रमण किया, लेकिन सेना केवल बढ़ती चली गई. जैसे ही रक्तबीज के शरीर से खून की एक बूंद जमीन पर गिरती थी, उसके समान कद का एक और महान राक्षस प्रकट हो जाता था. यह देख मां कालरात्रि अत्यंत क्रोधित हो उठीं और रक्तबीज के हर हमशक्ल दानव का खून पीने लगीं. मां कालरात्रि ने रक्तबीज के खून को जमीन पर गिरने से रोक दिया और अंततः सभी दानवों का अंत हो गया. बाद में, उन्होंने शुंभ और निशुंभ को भी मार डाला और तीनों लोकों में शांति की स्थापना की.
Next Story