धर्म-अध्यात्म

Shardiya Navratri 2021: जानें गरबा और डांडिया नृत्य का धार्मिक महत्व, दोनों में क्या है फर्क?

Kunti Dhruw
14 Oct 2021 5:01 PM GMT
Shardiya Navratri 2021: जानें गरबा और डांडिया नृत्य का धार्मिक महत्व, दोनों में क्या है फर्क?
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नवरात्रि (Navratri) के दिनों में मां की आराधना के लिए सजाये गए पंडालों में गरबा-डांडिया (Garba-Dandiya) की बड़ी धूम रहती है.

नवरात्रि (Navratri) के दिनों में मां की आराधना के लिए सजाये गए पंडालों में गरबा-डांडिया (Garba-Dandiya) की बड़ी धूम रहती है. लोग बड़े उत्साह और श्रद्धा के साथ गरबा और डांडिया नृत्य (Dance) में हिस्सा भी लेते हैं. लेकिन क्या आपने इस बात पर कभी गौर किया है कि नवरात्रि के दिनों में पंडालों या क्लबों में गरबा-डांडिया नृत्य के कार्यक्रम विशेष आकर्षण का केंद्र क्यों होते हैं और गरबा-डांडिया में क्या फर्क होता है?

दरअसल, नवरात्रि में गरबा और डांडिया का महत्त्व बहुत ज्यादा होता है, क्योंकि माना जाता है कि ये मां की पूजा से जुड़े हैं. इसी वजह से नवरात्रि के दिनों में केवल पंडालों में ही नहीं बल्कि क्लबों और रिसॉर्ट्स में भी गरबा और डांडिया के स्पेशल प्रोग्राम आयोजित किये जाते हैं. अब गरबा और डांडिया का धार्मिक महत्व क्या है और इन दोनों नृत्य में क्या फर्क है आइये जानते हैं.
गरबा और डांड‍िया का धार्मिक महत्व
गरबा और डांडिया दोनों ही तरह के नृत्य मां दुर्गा से जुड़े हुए हैं. गरबा नृत्य मां दुर्गा की प्रतिमा या उनके ल‍िए जलाई गई ज्योत के आसपास क‍िया जाता है. ये नृत्य मां के गर्भ में जीवन का प्रदर्शन करने वाली लौ का प्रतीक है. साथ ही गरबा नृत्य के दौरान बना गोला जीवन चक्र को दर्शाता है. वहीं डांडिया नृत्य के जरिए मां दुर्गा और मह‍िषासुर के बीच हुए युद्ध को दर्शाया जाता है. नृत्य में डांड‍िया की रंगीन छड़ी को मां दुर्गा की तलवार के तौर पर भी देखा जाता है. इसीलिए इसको तलवार नृत्य या डांस ऑफ स्वॉर्ड भी कहा जाता है.

गरबा और डांड‍िया नृत्य में फर्क
ज्यादातर लोग गरबा-डांडिया नृत्य को एक ही समझते हैं, जबकि नृत्य के दोनों रूपों में काफी फर्क है. गरबा नृत्य की शुरुआत गुजरात से हुई थी. इस नृत्य में हाथों का इस्तेमाल होता है और बिना किसी चीज की मदद लिए इसे केवल हाथों से ही खेला जाता है. साथ ही गरबा को मां दुर्गा की पूजा से पहले क‍िया जाता है. वहीं डांड‍िया नृत्य की शुरुआत वृंदावन से हुई थी. डांड‍िया नृत्य में रंगीन छड़ी का इस्तेमाल होता है और इस छड़ी को हाथ में लेकर खेला जाता है. डांड‍िया नृत्य मां के पूजन के बाद किया जाता है


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