धर्म-अध्यात्म

Sharad Purnima 2021: जानें क्या है अमृत वर्षा का रहस्य और क्यों बनाते हैं खीर

Ritisha Jaiswal
18 Oct 2021 12:49 PM GMT
Sharad Purnima 2021: जानें क्या है अमृत वर्षा का रहस्य और क्यों बनाते हैं खीर
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हिंदू मान्यताओं के अनुसार अश्विन मास का बेहद महत्व है. इस पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा के तौर पर मनाया जाता है.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क | हिंदू मान्यताओं के अनुसार अश्विन मास का बेहद महत्व है. इस पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा के तौर पर मनाया जाता है. इस साल कल यानी 19 अक्टूबर 2021 के दिन शरद पूर्णिमा मनाई जाएगी. यह पूर्णिमा तिथि धनदायक मानी जाती है. ये माना जाता है कि इस दिन आसमान से अमृत की बारिश होती है और मां लक्ष्मी की कृपा मिलती है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इसी दिन से सर्दियों की शुरुआत होती है. इस दिन चंद्रमा की पूजा होती है. पूर्णिमा की रात चंद्रमा की दूधिया रोशनी धरती को नहलाती है और इसी दूधिया रोशनी के बीच पूर्णिमा का पर्व मनाया जाता है.

शरद पूर्णिमा के दिन क्यों बनाते हैं खीर
शरद पूर्णिमा की रात को खीर बनाकर खुले आसमान में रखने की मान्यता है. इसके पीछे का तर्क है कि दूध में भरपूर मात्रा में लैक्टिक एसिड होता है. इस कारण चांद की चमकदार रोशनी दूध में पहले से मौजूद बैक्टिरिया को बढ़ाने में सहायक होती है. वहीं, खीर में पड़े चावल इस काम को और आसान बना देते हैं. चावलों में पाए जाने वाला स्टार्च इसमें मदद करते हैं. इसके साथ ही, कहते हैं कि चांदी के बर्तन में रोग-प्रतिरोधक क्षमता अधिक होती है.
ये है धार्मिक महत्व
इस दिन का धार्मिक महत्व भी काफी ज्यादा है. ऐसा माना जाता है कि शरद पूर्णिमा के दिन ही मां लक्ष्मी की उत्पत्ति समुद्र मंथन से हुई थी. इस धनदायक माना जाता है कि इस दिन मां लक्ष्मी पृथ्वी पर विचरण करने आती हैं. जो लोग इस दिन रात में मां लक्ष्मी का आह्वान करते हैं उन पर मां की विशेष कृपा रहती है. शरद पूर्णिमा की रात को चंद्रमा की चांदनी में अमृत की बरसात होती है. इन्हीं मान्यताओं के आधार पर ऐसी परंपरा बनाई गई कि शरद पूर्णिमा को खीर खुले आसमान में रखने पर उसमें अमृत समा जाता है.
ऐसे की जाती है पूजा
शरद पूर्णिमा को चंद्रमा की पूजा करने का विधान भी है, जिसमें उन्हें पूजा के अन्त में अर्ध्य भी दिया जाता है. भोग भी भगवान को इसी मध्य रात्रि में लगाया जाता है. इसे परिवार के बीच में बांटकर खाया जाता है. सुबह स्नान-ध्यान-पूजा पाठ करने के बाद इसे प्रसाद के रूप में बांटा जाता है. लक्ष्मी जी के भाई चंद्रमा इस रात पूजा-पाठ करने वालों को शीघ्रता से फल देते हैं. अगर शरीर साथ दे, तो अपने इष्टदेवता का उपवास जरूर करें. इस दिन की पूजा में कुलदेवी या कुलदेवता के साथ श्रीगणेश और चंद्रदेव की पूजा बहुत जरूरी मानी जाती है


Ritisha Jaiswal

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