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शनि की कृपा पाने के लिए बेहद खास है शनिचरी अमावस्या, करे ये आसान उपाय
शनिश्चरी अमावस्या 30 अप्रैल को है और इस दिन साल का पहला सूर्य ग्रहण भी लग रहा है. यह वैशाख महीने की अमावस्या है. जो भी अमावस्या शनिवार के दिन पड़ती हैं, उन्हें शनिश्चरी अमावस्या या शनि अमावस्या कहते हैं. यदि शनिश्चरी अमावस्या पर कुछ खास उपाय किए जाएं तो शनि देव की कृपा आसानी से पाई जा सकती है. ज्योत्षि शास्त्र के अनुसार शनि की कृपा किस्मत बदल देती है और रंक को राजा बना देती है. चूंकि 29 अप्रैल को शनि गोचर कर रहे हैं, लिहाजा मीन राशि पर साढ़े साती और कर्क, वृश्चिक पर ढैय्या शुरू होगी. ऐसे में शनि की महादशा झेल रहे जातकों को इस दिन कुछ उपाय जरूर कर लेने चाहिए.
शनि अमावस्या पूजा मुहूर्त
शनिश्चरी अमावस्या की शुरुआत 30 अप्रैल, शनिवार को मध्य रात्रि 12:57 से होगी जो 1 मई, रविवार की मध्यरात्रि 01:57 बजे पर खत्म होगी. इस दौरान शाम 03:20 बजे तक प्रीति योग रहेगा और फिर आयुष्मान योग शुरू होगा. स्नान-दान, पूजा-पाठ के लिए शुभ समय सुबह 11:52 बजे से दोपहर 12:45 बजे तक रहेगा. वहीं राहुकाल सुबह 9 बजे से सुबह के 10:39 बजे तक रहेगा.
शनि देते हैं बेशुमार सफलता-पैसा
यदि शनि की कृपा पाना चाहते हैं या शनि की महादशा के कारण मिल रहे बुरे फल से राहत पाना चाहते हैं तो शनिश्चरी अमावस्या के दिन कुछ उपाय कर लें. ये उपाय बहुत लाभकारी हैं.
शनिश्चरी अमावस्या के दिन माही नदी में स्नान करने से शनि की साढ़ेसाती, ढैय्या और शनि दोष की पीड़ा से राहत मिलती है. इससे सारे दुख-दर्द, बाधाएं समाप्त होती हैं.
शनि कर्म के अनुसार फल देने वाले देवता हैं. इसलिए शनिश्चरी अमावस्या के दिन अच्छे काम करें. किसी जरुरतमंद को दान करें. उसे भोजन करा सकते हैं. वस्त्र, जूते-चप्पल दान करने से शनि प्रसन्न होते हैं. इसके अलावा काले तिल, काले कपड़े का दान करना भी अच्छा होता है.
शनिश्चरी अमावस्या के दिन शनि देव की विधि-विधान से पूजा करें. उन्हें नीले फूल, काला तिल, सरसों का तेल अर्पित करें. तेजी से सारे काम बनने लगेंगे.
शनि के बुरे असर से निजात पाने का अच्छा तरीका है कि संकटमोचर हनुमान की पूजा-उपासना की जाए. लिहाजा शनिश्चरी अमावस्या पर हनुमान मंदिर जाकर बजरंगबली को सिंदूर का चोला चढ़ाएं और हनुमान चालीसा का पाठ करें.