धर्म-अध्यात्म

Shani Sadesati 2021 : मीन राशि पर शुरू हो रही है साढ़ेसाती, जानें शनिदोष से बचने के उपाय

Deepa Sahu
9 May 2021 12:31 PM GMT
Shani Sadesati 2021 : मीन राशि पर शुरू हो रही है साढ़ेसाती, जानें शनिदोष से बचने के उपाय
x
शनि को सबसे ज्यादा प्रभावी और शक्तिशाली ग्रह माना गया है।

ज्योतिषशास्त्र के अनुसार, शनि को सबसे ज्यादा प्रभावी और शक्तिशाली ग्रह माना गया है। शनि एक न्याय प्रिय ग्रह हैं, जो जैसा कर्म करते हैं, उसको उसी के अनुरूप फल भी प्रदान करते हैं लेकिन शापित होने के कारण की शनि की दृष्टि जिस पर पड़ती है, उसकी अनिष्ट होता है। इसी कारण शनिदेव पाप व क्रूर ग्रह माने जाते हैं। बुध, शुक्र व राहु के साथ शनि की मित्रता है तो सूर्य, चंद्रमा व मंगल के साथ इनका शत्रुता भाव का संबंध है। हालांकि बृहस्पति और केतु के साथ इनका संबंध सम रहता है। शनि जब राशि परिवर्तन करते हैं तो कुछ राशियों पर शनि की साढ़ेसाती तो किसी पर ढैय्या शुरू हो जाती है तो कुछ राशियों पर साढ़ेसाती व ढैय्या समाप्त हो जाती है। शनि अन्य ग्रहों की तुलना में काफी मंद गति से चलते हैं, जिसके कारण शनि का प्रभाव सबसे ज्यादा बना रहता है।

इन राशियों पर है शनि की साढ़ेसाती
ज्योतिषशास्त्र के अनुसार, मकर व कुंभ राशि के स्वामी शनि जब एक राशि से दूसरी राशि में परिवर्तन करते हैं तो ढाई साल का वक्त लेते हैं। ऐसे में शनि अपना चक्र करीब 30 साल में पूरा करते हैं। वर्तमान में धनु, मकर और कुंभ राशि पर साढ़ेसाती का असर चल रहा है। शनि की साढ़ेसाती का जिन राशियों पर प्रभाव होता है, उसको जीवन में कई कष्टों का सामना करना पड़ता है। वहीं शनि 29 अप्रैल 2022 को अपनी ही राशि में कुंभ में प्रवेश करेंगे, ऐसा करने से मीन राशि वालों पर शनि की साढ़ेसाती का पहला चरण शुरू हो जाएगा। वहीं धनु राशि वालों को शनि की साढ़ेसाती से छुटकारा मिल जाएगा। हालांकि मकर व कुंभ राशि पर शनि का साढ़ेसाती का असर बना रहेगा। वहीं इस राशि परिवर्तन से कर्क व वृश्चिक राशि वालों ढैय्या का प्रभाव शुरू हो जाएगा।
साढ़ेसाती के तीन चरण
शनि की साढ़ेसाती के तीन चरण होते हैं। दरअसल शनि की साढ़ेसाती का नाम सुनकर ही भयभीत हो जाते हैं लेकिन ऐसा नहीं है। शनि की साढ़ेसाती को लेकर जिस प्रकार के भ्रम देखे जाते हैं। वास्तव में साढ़ेसाती का रूप वैसा नहीं है। आइए जानते हैं शनि की साढ़ेसाती के तीन चरणों के बारे में….
पहला चरण
ज्योतिषशास्त्र के अनुसार, शनि की साढ़ेसाती के पहले चरण में व्यक्ति की आर्थिक स्थिति प्रभावित होती है। आय की तुलना में व्यय अधिक होता है। विचार किए गए कार्य पूरे नहीं होते और धन के कारण कई योजनाएं शुरू भी नहीं हो पातीं। अचानक से धन की हानि का सामना करना पड़ता है। स्वास्थ्य में कमी के योग बनते हैं और स्थितियां बनती-बिगड़ती रहती हैं। दांपत्य जीवन में कई कठिनाइयां आती हैं और मेहनत के अनुसार लाभ भी नहीं मिल पाता।
दूसरा चरण
शनि की साढ़ेसाती के दूसरे चरण में पारिवारिक तथा व्यावसायिक जीवन में कई उतार-चढ़ाव का सामना करना पड़ता है। संबंधियों से कष्ट मिलते हैं और बार-बार लंबी यात्रा पर जाना पड़ सकता है। किसी कारणवश घर-परिवार से दूर रहना पड़ता है और संपत्ति से संबंधित मामलों में परेशानी होने लगती है।
तीसरा चरण
ज्योतिषशास्त्र के अनुसार, शनि की साढ़ेसाती के तीसरे चरण में व्यक्ति को भौतिक सुखों की कमी का सामना करना पड़ता है और अधिकारों में भी कमी आने लगती है। आय की तुलना में व्यय अधिक होने लगता है। परिवार में शुभ कार्य बाधित होने लगते हैं और वाद-विवाद के योग बनने लगते हैं। संतान से वैचारिक मतभेद होते हैं और संक्षेप में कहा जाए तो यह चरण व्यक्ति के लिए ज्यादा कल्याणकारी नहीं रहती।
शनि दोष से बचने के उपाय
शनि के अशुभ प्रभाव से बचने के लिए हनुमानजी की पूजा करें। हर रोज हनुमान चालीसा या सुंदरकांड का पाठ करना चाहिए। मान्यता है कि हनुमानजी की पूजा करने से शनि दोष से मुक्ति मिलती है। इसके लिए शनिवार के दिन हनुमान मंदिर जाएं और लाल चोला चढ़ाएं। इसके साथ ही शनिश्‍चरी अमावस्‍या के दिन शनि पूजन करना शुभ फलदायी रहता है। शनिदेव की पूजा हमेशा पश्चिम दिशा की ओर मुख करके बैठना चाहिए। भगवान शिव की पूजा से भी शनिदेव प्रसन्न होते हैं क्योंकि भगवान शिव शनिदेव के गुरु हैं और इनकी पूजा से शनि दोष का अशुभ प्रभाव नहीं पड़ता है। वहीं शनिवार के दिन शनिदेव से जुड़ी चीजों का दान करना चाहिए और पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाना चाहिए। वहीं शनिवार के दिन स्टील की कटोरी में तेल डालकर अपना चेहरा देखें फिर डकोत को तेल दान में दे दें।
Next Story