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Shani Pradosh Vrat ज्योतिष न्यूज़ : पंचांग के अनुसार पौष माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि की शुरुआत 28 दिसंबर को देर रात 02 बजकर 26 मिनट पर होगी। वहीं इस तिथि का समापन 29 दिसंबर को देर रात 03 बजकर 32 मिनट पर होगा। ऐसे में 28 दिसंबर को वर्ष का अंतिम प्रदोष व्रत किया जाएगा। इस दिन शनिवार होने की वजह इसे शनि प्रदोष व्रत के नाम से जाना जाएगा।
शनि प्रदोष व्रत का महत्व
शनि प्रदोष व्रत हिंदू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण और शुभ माना जाता है। यह व्रत प्रदोष काल (संध्या समय) में किया जाता है और विशेष रूप से उन लोगों के लिए लाभकारी है जो शनि देव की कृपा प्राप्त करना चाहते हैं। शनि देव को कर्मफल दाता और न्याय का देवता माना गया है। इस व्रत के माध्यम से व्यक्ति अपने पापों से मुक्ति पाता है, दुर्भाग्य समाप्त होता है और जीवन में शांति, सुख, और समृद्धि आती है।
शनि प्रदोष व्रत का महत्व इसलिए भी है क्योंकि यह व्यक्ति के शनि दोष, जैसे शनि की साढ़े साती या ढैय्या के कष्टों को कम करता है। साथ ही, यह व्रत भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने का एक प्रभावी उपाय है, क्योंकि प्रदोष व्रत शिव जी को समर्पित होता है। शनि प्रदोष व्रत के दिन शिवलिंग का जलाभिषेक और शनि देव की पूजा विशेष फलदायी मानी जाती है।
सुख-समृद्धि के लिए शनि प्रदोष व्रत के उपाय
शिवलिंग पर अभिषेक - शनि प्रदोष के दिन शिवलिंग पर जल, दूध, शहद और गंगाजल चढ़ाएं। इसमें बेलपत्र, धतूरा, और आक के फूल भी अर्पित करें। यह शनि दोष को शांत करता है और भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है।
काले तिल और तेल का दान- शनि देव को प्रसन्न करने के लिए काले तिल, सरसों का तेल, लोहे के बर्तन, कंबल और काले वस्त्र का दान करें। इन वस्तुओं का दान शनि दोष और दुर्भाग्य को समाप्त करता है।
हनुमान जी की पूजा- शनि देव हनुमान जी के भक्त हैं। शनि प्रदोष व्रत के दिन हनुमान चालीसा का पाठ करें और उन्हें गुड़ और चने का भोग लगाएं। इससे शनि की साढ़े साती और ढैय्या के प्रभाव कम होते हैं।
गरीबों और जरूरतमंदों की सहायता- शनि देव को न्यायप्रिय देवता माना जाता है। इस दिन गरीबों और जरूरतमंदों को भोजन, वस्त्र, और धन का दान करें। इससे जीवन में सुख-शांति और समृद्धि आती है।
शनि यंत्र की स्थापना- घर में शनि यंत्र स्थापित करें और उसकी नियमित पूजा करें। इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और शनि ग्रह से जुड़े दोष समाप्त होते हैं।
पीपल के वृक्ष की पूजा- शनि प्रदोष के दिन पीपल के वृक्ष की जड़ में जल अर्पित करें और दीपक जलाएं। पीपल के वृक्ष की 7 बार परिक्रमा करें। इससे शनि देव की कृपा प्राप्त होती है।
शनि मंत्र का जाप- “ॐ शं शनैश्चराय नमः” मंत्र का 108 बार जाप करें। यह मंत्र शनि देव को प्रसन्न करता है और जीवन की बाधाओं को दूर करता है।
भोजन में सात्विकता- इस दिन सात्विक आहार लें और किसी भी प्रकार के मादक पदार्थों या मांसाहार का सेवन न करें। यह शनि देव की कृपा पाने में सहायक होता है।
नीले रंग का प्रयोग- शनि देव को नीला रंग प्रिय है। इस दिन नीले रंग के वस्त्र पहनें और नीले फूल शनि देव को अर्पित करें।
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Tara Tandi
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