धर्म-अध्यात्म

Shani Pradosh Vrat 2025: शनि प्रदोष व्रत के दिन जरूर पढ़ें ये कथा, दांपत्य जीवन होगा सुखमय

Renuka Sahu
11 Jan 2025 2:02 AM GMT
Shani Pradosh Vrat 2025:  शनि प्रदोष व्रत के दिन जरूर पढ़ें ये कथा, दांपत्य जीवन होगा सुखमय
x
Shani Pradosh Vrat 2025: शनि प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव के व्रत और पूजन का विधान है. इस दिन शनि देव की भी उपासना की जाती है. हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत अत्यधिक महत्वपूर्ण है. इस व्रत की महिमा का जिक्र शिव पुराण में विस्तार से मिलता है. प्रदोष व्रत हर महीने की त्रयोदशी तिथि को पड़ता है. महिने में दो बार ये व्रत पड़ता है. जब ये प्रदोष व्रत शनिवार को पड़ता है, तो इसे शनि प्रदोष व्रत कहा जाता है|
शनि प्रदोष व्रत की तिथि-
इस साल शनि प्रदोष व्रत 11 जनवरी यानी कीआज पड़ रहा है. कल शनिवार है. इसलिए इसको शनि प्रदोष व्रत कहा जा रहा है. शनि प्रदोष व्रत की तिथि की शुरुआत 11 जनवरी को सुबह 8 बजकर 21 मिनट पर होगी. वहीं इस तिथि का समापन अगले दिन 12 जनवरी को सुबह 6 बजकर 33 पर होगा. उदया तिथि के अनुसार, शनि प्रदोष व्रत 11 जनवरी को रखा जाएगा. शनि प्रदोष व्रत पर भगवान शिव के पूजन और व्रत के साथ ही कथा भी सुननी चाहिए. इन दिन कथा सुनने से वैवाहिक जीवन सुखमय रहता है|
प्राचीन समय में एक नगर में एक सेठ रहा करता था. उसके पास धन दौलत की कोई कमी नहीं थी. सेठ के भीतर बहुत दया थी. वो अपने घर से किसी को खाली हाथ नहीं जाने देता था. वो सभी को दान-दक्षिणा देता था. सेठ के पास सब कुछ था, लेकिन उसकी संतान नहीं थी. इस वजह से सेठ और सेठानी दोनों दुखी रहा करते थे. एक दिन उन्होंने तय किया कि वो तीर्थ यात्रा पर जाएंगे|
इसके बाद वो तीर्थ यात्रा पर निकल पड़े. जैसे ही वो अपने नगर के बाहर निकले उनकी नजर एक साधु पर पड़ी. साधु समाधि में थे. दोनों ने सोचा कि साधु का आशीर्वाद लेकर आगे बढ़ा जाए|
फिर दोनों पति-पत्नि साधु के सामने जाकर बैठ गए और उनके समाधि से उठने की प्रतीक्षा करने लगे. काफी देर बाद जब साधु समाधि से उठे तो उन्होंने दोनों पति-पत्नि को अपने सामने बैठे हुए देखा. फिर साधु ने दोनों को आशीर्वाद दिया. उन्होंने पति-पत्नी से कहा कि मैं तुम्हारे मन की बात जान गया हूं. तुम दोनों के धैर्य और भक्ति ने मुझे बहुत प्रसन्न किया है|
फिर साधु ने उन्हें संतान प्राप्ति के लिए शनि प्रदोष व्रत के बारे में बताया. तीर्थ यात्रा से लौटने के बाद दोनों पति-पत्नि ने नियमित रूप से शनि प्रदोष व्रत किया. कलांतर में व्रत के प्रभाव से सेठ-सेठानी को पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई|
Next Story