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धर्म-अध्यात्म
Shani Pradosh Vrat 2024: सावन का बड़ा व्रत है शनि प्रदोष, विधि से करें शिव पूजा
Bharti Sahu 2
15 Aug 2024 6:28 AM GMT
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Shani Pradosh Vrat 2024: शनि प्रदोष व्रत 17 अगस्त दिन शनिवार को है. यह सावन का बड़ा व्रत है. इस दिन व्रत रखकर भगवान भोलेनाथ की पूजा करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं. शनिवार का व्रत विशेष फलदायी माना जाता है. जो लोग शादीशुदा हैं और उनकी कोई संतान नहीं है, उनको शनि प्रदोष व्रत करना चाहिए. शिव कृपा से व्यक्ति को संतान की प्राप्ति होती है. इसके अलावा आपके दुख दूर होते हैं, कष्टों से मुक्ति मिलती है, गरीबी दूर होती है और आर्थिक उन्नति आती है. भगवान शंकर के आशीर्वाद से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी हो सकती हैं
शनि प्रदोष व्रत 2024 मुहूर्त
सावन शुक्ल त्रयोदशी तिथि का शुभारंभ: 17 अगस्त, सुबह 8 बजकर 5 मिनट से
सावन शुक्ल त्रयोदशी तिथि का समापन: 18 अगस्त, सुबह 5 बजकर 51 मिनट पर
शनि प्रदोष पूजा का मुहूर्त: शाम 6 बजकर 58 मिनट से रात 9 बजकर 9 मिनट के बीच
प्रीति योग: प्रात:काल से सुबह 10 बजकर 48 मिनट तक
आयुष्मान योग: सुबह 10:48 बजे से 18 अगस्त को सुबह 7:51 बजे तक
शनि प्रदोष व्रत 2024 पूजा मंत्र
1. ओम नम: श्म्भ्वायच मयोंभवायच नम: शंकरायच मयस्करायच नम: शिवायच शिवतरायच।।
2. ओम त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥
3. ओम नम: शिवाय
शनि प्रदोष व्रत और पूजा विधि
शनि प्रदोष के दिन आप ब्रह्म मुहूर्त में 04:25 ए एम से 05:08 ए एम के बीच स्नान आदि करके साफ कपड़े पहनें. फिर शनि प्रदोष व्रत और शिव पूजा का संकल्प करें. उसके बाद सुबह में शिव जी की दैनिक पूजा करें. दिनभर उपवास पर रहें, फलाहार करें, लेकिल अन्न ग्रहण न करें. फिर शाम को शुभ मुहूर्त में शनि प्रदोष की पूजा करें
मुहूर्त के समय आप किसी शिव मंदिर में जाएं और वहां पर सबसे पहले शिवलिंग का जलाभिषेक करें. उसके बाद अक्षत्, फूल, धूप, बेलपत्र, धतूरा, भांग, चंदन, फल, नैवेद्य, शहद आदि से शिव शंकर की पूजा करें. पूजन सामग्री अर्पित करते समय किसी भी शिव मंत्र का उच्चारण करें. पूजन के बाद शिव चालीसा का पाठ करें. फिर शनि प्रदोष व्रत की कथा पढ़ें.
कथा पढ़ने के बाद शिव जी की आरती करें. इसके लिए आप घी के दीपक या कपूर का उपयोग कर सकते हैं. शिव आरती के बाद क्षमा प्रार्थना करें. उसके बाद शिव जी से मनोकामना पूर्ति की प्रार्थना करें. अगले दिन सूर्योदय तक स्नान कर लें. फिर अपनी क्षमता के अनुसार दान करें. उसके बाद पारण करके व्रत को पूरा करें.
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