धर्म-अध्यात्म

आपकी किस्मत चमका देंगे शनि देव, बस भूलकर भी ना करें ये काम

Subhi
5 Jun 2022 5:33 AM GMT
आपकी किस्मत चमका देंगे शनि देव, बस भूलकर भी ना करें ये काम
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न्याय के देवता भगवान शनि को क्रूर ग्रह भी माना गया है। मान्यता है कि शनि देव सभी को कर्मों के अनुसार फल देते हैं, इसलिए शनि अशुभ हों तो जातक कई मुसीबतें-संकट झेलता है।

न्याय के देवता भगवान शनि को क्रूर ग्रह भी माना गया है। मान्यता है कि शनि देव सभी को कर्मों के अनुसार फल देते हैं, इसलिए शनि अशुभ हों तो जातक कई मुसीबतें-संकट झेलता है। हालांकि शनि हमेशा ही अशुभ फल नहीं देते हैं। यदि जातक के कर्म अच्‍छे हों तो शनि शुभ फल भी देते हैं।

यहां तक कि जातक अच्‍छे कर्म करे और उसकी कुंडली में शनि की स्थिति अच्‍छी हो तो साढ़े साती और ढैय्या जैसी महादशा में भी व्‍यक्ति खूब तरक्‍की करता है। संसार में जातक लाभ और मान-सम्‍मान पाता है।

शनि के प्रकोप से बचने के लिए ना करें ये काम

यदि शनि के प्रकोप से बचना चाहते हैं तो ऐसे काम बिल्‍कुल नहीं करने चाहिए, जो शनि को नापसंद हों। वरना शनि की बुरी नजर जीवन में गरीबी, बीमारियों, मान हानि, धन हानि का कारण बनती हैं। इसके अलावा अशुभ शनि व्‍यक्ति को गलत काम करने पर मजबूर कर देता है।

वह बुरी संगत में पड़ जाता है। कुल मिलाकर उसका जीवन बर्बाद हो जाता है। लिहाजा गरीबों-कर्मचारियों का शोषण न करें। शनि देव के प्रकोप से बचने के लिए असहायों का अपमान न करें। बेजुबान जानवरों को न सताएं और उनकी खूब सेवा करें। जीवन में किसी को धोखा नहीं देना चाहिए और अपने कर्म बेहद सादगी से करने चाहिए।

शनि की कृपा पाने के लिए जरूर करें ये काम

शनि की कृपा पाने का सबसे अच्‍छा तरीका है गरीबों-असहायों की मदद करना. शनि देव हमेशा ऐसे लोगों पर मेहरबान रहते हैं जो गरीबों, असहायों, जरूरतमंदों और महिलाओं की मदद करते हैं। ऐसे काम करने से बड़े से बड़ा शनि दोष भी दूर हो जाता है।

जो लोग हमेशा सफाई से रहते हैं। जिनके नाखून साफ रहते हैं, उन्‍हें भी शनि कभी परेशान नहीं करते हैं।

बेजुबान जानवरों की सेवा करने वाले, उन्‍हें भोजन-पानी देने वाले लोगों पर शनि हमेशा कृपा करते हैं।

ऐसे लोग जो खूब मेहनत करते हैं, ईमानदारी से अपना काम करते हैं. उन पर शनि हमेशा मेहरबान रहते हैं।

शनि महामंत्र

ॐ निलान्जन समाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम।

छायामार्तंड संभूतं तं नमामि शनैश्चरम॥

शनि दोष निवारण मंत्र

ऊँ त्रयम्बकं यजामहे सुगंधिम पुष्टिवर्धनम।

उर्वारुक मिव बन्धनान मृत्योर्मुक्षीय मा मृतात।।


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