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अक्तूबर को शनिदेव होंगे मार्गी, इन उपाय से दूर करें शनिदोष
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। सूर्यपुत्र और सभी 9 ग्रहों में सबसे मंद गति से चलने वाले शनिदेव को न्याय और कर्म प्रधान माना गया है। सभी ग्रहों में सबसे धीमी चाल से चलने के कारण इनका प्रभाव जातकों पर ज्यादा समय के लिए होता है। शनि की महादशा 19 वर्षों की होती है। शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या का प्रकोप बहुत ही कष्टकारी माना जाता है। लेकिन दूसरी तरफ शनिदेव शुभ फल भी प्रदान करते हैं। जिन जातकों की कुंडली में शनि शुभ भाव में होते हैं वे उन्हें सभी तरह से शुभ फल प्रदान करते हैं। वहीं दूसरी तरफ अगर कुंडली में शनि अशुभ हैं तो जातकों का कई तरह की परेशानियों से जूझना पड़ता है। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार हर व्यक्ति के जीवन में एक बार या उससे अधिक शनि की साढ़ेसाती का चरण जरूर आता है। शास्त्रों में शनि की पीड़ा से मुक्ति के लिए कई तरह के उपाय भी बताए गए हैं। शनिदेव की विशेष कृपा पाने के लिए शनिवार का दिन बहुत खास होता है।
शनि की साढ़ेसाती के तीन चरण होते हैं पहला, दूसरा और तीसरा चरण। साढ़ेसाती का पहला चरण धनु, वृषभ और सिंह राशि वालों के कष्ट से भरे रहते हैं। दूसरा चरण सिंह, मकर, मेष, कर्क और वृश्चिक राशि वालों के लिए अच्छा नहीं होता है। जबकि तीसरा चरण मिथुन, कुंभ, तुला और मीन राशि के लिए अशुभ होता है।
2021 में इन राशियों पर है शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या
मौजूदा समय में शनि मकर राशि में गोचर हैं। शनि के मकर राशि में गोचर होने के कारण धनु, मकर और कुंभ राशि पर साढ़ेसाती और मिथुन और तुला राशि पर शनि की ढैय्या का प्रभाव है। धनु राशि के जातकों पर शनि की साढ़ेसाती का आखिरी चरण चल रहा है। पूरी तरह से साल 2023 में धनु राशि पर से शनि की साढ़ेसाती खत्म हो जाएगी। मकर राशि पर शनि की साढ़ेसाती का दूसरा चरण चल रहा है। 2025 में मकर राशि से शनि की साढ़ेसाती का प्रभाव खत्म हो जाएगा। शनि के मकर राशि में गोचर करने के कारण कुंभ राशि पर शनि की साढ़ेसाती का पहला चरण चल रहा है। कुंभ राशि से शनि की साढ़ेसाती 23 जनवरी 2028 को हटेगी।
11 अक्तूबर शनि होंगे मार्गी
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शनि के क्रूर ग्रह होने के कारण जातकों पर इसका प्रभाव सबसे ज्यादा होता है। शनि ग्रह 23 मई 2021 से मकर राशि में वक्री चाल से चल रहे हैं। किसी ग्रह की वक्री चाल का मतलब होता है उल्टी चाल से चलना। शनि अब 11 अक्तूबर 2021 से मार्गी हो जाएंगे। जिस कारण से कुछ राशियों का राहत तो कुछ की परेशानियां बढ़ जाएगी।
शनिदोष से बचने के उपाय
शास्त्रों में शनि का साढ़ेसाती और शनि दोष के प्रभाव से मुक्ति पाने के लिए कुछ उपाय बताए गए हैं। जिसे अपनाकर शनिदोष कम किया जाता सकता है।
- शनिवार का दिन शनिदेव की शुभ कृपा पाने के लिए सबसे अच्छा दिन माना गया है। शनिवार के दिन शनि मंदिर में शनिदेव को सरसों का तेल अर्पित करना चाहिए।
- शनिदोष से मुक्ति के लिए शनिदेव के दस नामों का जाप करना चाहिए। ये दस नाम इस प्रकार है- कोणस्थ, पिंगल, बभ्रु, कृष्ण, रौद्रान्तक, यम, सौरि, शनैश्चर, मंद, पिप्पलाश्र
- हर शनिवार के दिन पीपल के पेड़ को जल चढ़ाएं और दीया जलाएं।
- ज्योतिषी की सलाह पर कुंडली से शनि दोष को दूर करने के लिए नीलम रत्न धारण करें।
- हनुमानजी की आराधना करने से शनि दोष से छुटकारा मिलता है इसलिए हर शनिवार के दिन बजरंगबली के दर्शन करने और हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए।
- शिव चालीसा का पाठ करने से भी शनिदेव प्रसन्न होते हैं और कुंडली से शनिदोष खत्म हो जाता है।