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धार्मिक ग्रंथों के मुताबिक रुद्राक्ष भगवान शिव की आंसुओं से उत्पन्न हुआ है
धार्मिक ग्रंथों के मुताबिक रुद्राक्ष भगवान शिव की आंसुओं से उत्पन्न हुआ है. पुराने समय से ही इसे आभूषण की तरह धारण किया जाता है. साथ ही रुद्राक्ष ही एक ऐसी चीज है जिसे ग्रहों के नियंत्रण और मंत्र जाप के लिए बेहतर माना जता है. इसके अलावा रुद्राक्ष के इस्तेमाल से शनि की पीड़ा को भी शांत किया जा सकता है. साथ ही साथ रुद्राक्ष के इस्तेमाल से शनिदेव की विशेष कृपा हासिल की जा सकती है. शास्त्रों में रुद्राक्ष को धारण करने के कुछ नियम बताए गए हैं. नियम के अनुसार धारण करने से निश्चिच तौर पर इसका लाभ मिल सकता है.
रुद्राक्ष का शनि से कनेक्शन
मान्यता है कि रुद्राक्ष की ताकत कि इसका सही से इस्तेमाल करने वाला हर प्रकार के संकटों को मात देता है. वहीं अगर कोई बिना नियम के इसे धारण करता है तो उल्टा प्रभाव पड़ता है. इसके अलावा अगर रुद्राक्ष का विधि-विधान से धारण किया जाए तो शनि की टेढ़ी नजर से मिलने वाले कष्टों से भी छुटकारा मिल जाता है.
शनि के लिए रुद्राक्ष का इस्तेमाल
शनि की पीड़ा से छुटकारा पाने के लिए रुद्राक्ष का नियम से इस्तेमाल करना चाहिए. ऐसे में शनि की बाधाओं को दूर करने लिए अलग-अलग प्रकार के रुद्राक्ष धारण करना शुभ होता है. नौकरी-रोजगार की समस्या को दूर करने के लिए दस मुखी रुद्राक्ष धारण करना शुभ है. एक साथ 3 दस मुखी रुद्राक्ष धारण करना और भी लाभदायक होगा. इसे शनिवार के दिन लाल धागे में परोकर गले में धारण करें. वहीं अगर कुंडली में शनि का अशुभ प्रभाव है तो इससे बचने के लिए एक मुखी और ग्यारह मुखी रुद्राक्ष एक साथ धारण करना शुभ माना गया है. 1 एक मुखी और 2 ग्यारह मुखी रुद्राक्ष को एकसाथ लाल धागे में पिरोकर धारण करें.
शनि की साढ़ेसाती या ढैया से मुक्ति के लिए
सेहत की समस्या से निजात पाने के लिए शनिवार के दिन गले में 8 मुखी रुद्राक्ष पहनना शुभ है. केवल आठ मुखी रुद्राक्ष धरण करें या एकसाथ 54 आठ मुखी रुद्राक्ष पहनें. इसके अलावा शनि की साढ़ेसाती या ढैया से मुक्ति पाने के लिए पांच मुखी रुद्राक्ष की माला धारण करें. माला धारण करने से पहले इस पर शनि और शिव जी के मंत्रों का जाप करना शुभ होता है.
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