धर्म-अध्यात्म

Shani Dev: पंचांग के अनुसार 07 अगस्त शनिवार के दिन पुष्य नक्षत्र में करें शनि देव की पूजा, इन राशियों को होगा विशेष लाभ

Tulsi Rao
6 Aug 2021 4:18 PM GMT
Shani Dev: पंचांग के अनुसार 07 अगस्त शनिवार के दिन पुष्य नक्षत्र में करें शनि देव की पूजा, इन राशियों को होगा विशेष लाभ
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पंचांग के अनुसार 07 अगस्त 2021 को शनिवार का दिन है. इस दिन शनि देव की पूजा का विशेष संयोग बन रहा है. शनिवार को पुष्य नक्षत्र है.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। सावन के शनिवार पर शनि देव की पूजा का विशेष योग बन रहा है. इस दिन पुष्य नक्षत्र में शनि देव की पूजा संयोग बन रहा है. ज्योतिष शास्त्र में पुष्य नक्षत्र को सभी 27 नक्षत्रों का राजा माना गया है. इस नक्षत्र में पूजा और शुभ कार्य करने का उत्तम फल प्राप्त होता है.

पुष्य नक्षत्र
पंचांग के अनुसार 07 अगस्त 2021, शनिवार को प्रात: 08 बजकर 15 मिनट 52 सेकेंड के बाद पुष्य नक्षत्र आरंभ होगा. पुष्य नक्षत्र का समापन 08 अगस्त को प्रात: 09 बजकर 19 मिनट तक रहेगा. पुष्य नक्षत्र को अत्यंत शुभ नक्षत्र माना गया है.
सिद्धि योग
शनिवार को सिद्धि योग भी बन रहा है. सिद्धि योग की गणना शुभ योगों में की जाती है. इस योग में कार्य सिद्धि होते हैं. जिन लोगों पर शनि की साढ़ेसाती, ढैय्या, महादशा आदि की स्थिति बनी हुई है, उनके लिए शनि देव की पूजा लाभकारी साबित हो सकती है. मिथुन, तुला पर शनि की ढैय्या और धनु, मकर और कुंभ पर शनि की साढ़ेसाती चल रही है.
शनि देव
शनिवार का दिन शनि का अधिक प्रिय है. ज्योतिष शास्त्र में शनि देव को विशेष स्थान प्राप्त है. नवग्रहों में शनि देव को न्याय का देवता माना गया है. सावन में शनि देव की पूजा का महत्व बढ़ जाता है. शनि देव शिव के भक्त होने के कारण, सावन मास में शनिवार के दिन की जाने वाली पूजा से शनि देव अधिक प्रसन्न होते हैं और शुभ फल प्रदान करते हैं.
शनि वक्री 2021
वर्तमान समय में शनि देव मकर राशि में गोचर कर रहे हैं. शनि वक्री होकर मकर राशि में गोचर कर रहे हैं. वक्री अवस्था में शनि पीड़ित माने जाते हैं. शनि को दंडाधिकारी भी कहा गया है. इसलिए शनि की दृष्टि से बचने के लिए व्यक्ति को गलत कार्यों से दूर रहना चाहिए. शनिवार के दिन शनि देव को इन मंत्रों से प्रसन्न करना चाहिए-
- ॐ शं नो देवीरभिष्टय आपो भवन्तु पीतये। शं योरभि स्त्रवन्तु न:.
- ॐ प्रां प्रीं प्रौं स: शनैश्चराय नम:.
- ॐ शं शनैश्चराय नम: है.
- नीलांजनसमाभासं रविपुत्र यमाग्रजम, छायामार्तंड सम्भूतं नं नमामि शनैश्चरम.


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